Uttar Pradesh Breaking headlines latest Hindi News: (उत्तर प्रदेश)

Uttar Pradesh Breaking headlines latest Hindi News: इसे आमतौर पर यूपी कहा जाता है. लेकिन इस यूपी का अर्थ उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि यूनाइटेड प्रॉविन्स ऑफ आगरा एंड अवध है. संयुक्त प्रांत या यूनाइटेड प्रॉविन्स ब्रिटिशकालीन भारत का एक प्रमुख प्रांत था और इसकी राजधानी आगरा थी. 12 जनवरी सन 1950 में इसे फिर से गठित किया गया और इसका नाम उत्तर प्रदेश रखा गया.वर्तमान उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य और क्षेत्रफल की दृष्टि के आधार पर चौथा सबसे बड़ा राज्य है.विश्व में केवल पांच राष्ट्र चीन,स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका,इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से ज्यादा है।

ये सूबा हिन्दुओं की प्राचीन सभ्यता केमुख्य संरक्षक के रूप में जाना जाता है. वाराणसी या काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में एक है वहीं भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या और भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा भी इसी राज्य में है. सूबे में राज्य सरकार की एक योजना का नाम वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट है. सरकार ने ये नाम तो अभी रखा है लेकिन इस सूबे के पूरे 75 जिले शुरू से ही अपनी अलग-अलग पहचान रखते हैं. कोई ज़िला कांच की चुड़ियों के लिए प्रसिद्ध है तो कोई ज़िला लकड़ी के खिलौनों के लिए. किसी ज़िले का अमरूद प्रसिद्ध है तो कोई ज़िला पेठे के लिए ही जाना जाता है. कोई जिला ताला बनाने के लिए दुनिया में मशहूर है तो कोई जिला चाकू के लिए भी जाना जाता है. इसी तरह यहां पर्यटन स्थलों की भी भरमार है. जिनमें धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थान भी शामिल हैं.

ताज महल आगरा में स्थित शाहजहां और मुमताज महल का ये मकबरा विश्व धरोहर है. दुनिया भर से जो भी सैलानी भारत आते हैं वो ताज महल का दीदार जरूर करते हैं. यमुना नदी के किनारे सफेद संगमरमर से बने इस इमारत को चांदनी रात में देखना अलग ही सुखद अहसास कराता है. ताज महल को भारत में इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है.

ताज महल

मथुरा-वृंदावन– भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और उनकी कर्मभूमि मथुरा और वृंदावन यमुना नदी के दो किनारों पर बसे हैं. दुनिया को गीता का ज्ञान और कर्मयोग की जानकारी देने वाले भगवान श्रीकृष्ण की इस पावन धरती का दर्शन करने देश-दुनिया से लोग यहां आते हैं. मथुरा-वृंदावन का पूरा क्षेत्र ब्रज कहलाता है और यहां के प्रत्येक नगर की अलग ही धार्मिक महत्ता है.

मथुरा-वृंदावन

वाराणसी– अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने वाराणसी के बारे में कहा है कि इतिहास का जितना पुराना इतिहास है वाराणसी का इतिहास उससे भी पुराना है. वाराणसी के बारे में इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहा जा सकता. हिंदुओं के साथ साथ ये शहर और इसके आसपास का इलाका जैन और बौद्ध धर्म के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. सारनाथ भी यहां से एकदम करीब है. धर्म के साथ साथ ये शहर शास्त्रीय संगीत के लिए भी जाना जाता है. यहां के गंगा तट भी विश्वप्रसिद्ध हैं जहां रोजाना शाम को भव्य गंगा आरती होती है.

वाराणसी

अयोध्या– सरयू नदी के तट पर बसा ये शहर भी प्राचीन और पौराणिक महत्व का है. कहा जाता है कि हिंदुओं के प्रथम पुरुष मनु ने इसे बसाया था. इच्छवाकु से लेकर भगवान श्रीराम तक ने यहां शासन किया है. ये भगवान राम की जन्मस्थली भी है. कहा जाता है कि इतने महत्व का होने के बाद भी ये शहर कई बार उजड़ा और कई बार बसाया गया. वर्तमान अयोध्या को राजा विक्रमादित्य ने बसाया था.

अयोध्या

प्रयागराज– ये भी पौराणिक और धार्मिक महत्व का स्थान है. यहां गंगा, यमुना और लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का मिलन होता है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा मेला लगता है जिसे कुंभ मेला के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने तप किया था. मुगल काल में इसका नाम बदलकर अल्लाहबाद कर दिया गया था जिसका भी यही मतलब होता है कि एक स्थान जिसे ईश्वर ने बसाया था. बाद में इसका अपभ्रंश होकर इलाहाबाद हो गया. अब सरकार ने इसे फिर से प्रयागराज नाम दे दिया है.

चित्रकूट प्राकृतिक सुंदरता से भरपुर ये स्थान भी पौराणिक महत्व का है. भगवान श्री राम ने अपने वनवास का एक बड़ा हिस्सा इसी स्थान पर बिताया था. कामदगिरी, हनुमान धारा, रामधारा और सीताकुंड यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं.

चित्रकूट

झांसी– वैसे तो इस शहर को ओरछा के वीरसिंह जुदेव बुंदेला ने बसाया था. लेकिन इसे 1857 की क्रांति के लिए ज्यादा जाना जाता है. यहां की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी पूरा देश जानता है. बंगरा नामक पहाड़ी पर बनाया गया यहां का किला भारत के सबसे बेहतरीन कीलों में से एक है.

लखनऊ– उत्तर प्रदेश की राजधानी इस शहर को नवाब और कवाब के कारण जाना जाता है. गोमती नदी के किनारे बसे इस शहर को लोग बागों का शहर भी कहते हैं. यहां के कई प्रसिद्ध इमारतों में से एक बड़ा इमाम बाड़ा भी है. इसकी छत पर जाने के लिए इतनी सीढ़ियां हैं कि अगर कोई आम इंसान बिना गाइड की मदद से इसमें प्रवेश करे तो वो निश्चित ही भूल जाएगा. इस वजह से इसे भूल-भूलैया भी कहा जाता है. यहां के गोमती नगर में बाबा साहेब अंबेडकर की स्मृति में एक भव्य पार्क बनाया गया है ये भी पर्यटकों के लिए दर्शनीय है.

लखनऊ

फतेहपुर सीकरी– ये एक परित्यक्त शहर है. पहले ये मुगल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. 1610 में मुगलों ने इसे शायद पानी की कमी के कारण खाली कर दिया. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित ये शहर आगरा से महज 37 किलोमीटर दूर है. सूर्यास्त के समय ये शहर शानदार और जादुई अहसास कराने वाला दिखता है. 1986 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर दिया.

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान-भारत नेपाल सीमा पर लखीमपुर खीरी जिले में स्थित ये नेशनल पार्क अपने आप में अद्भुत है. यहां बाघ, तेंदुआ, हाथी, बारहसिंगा, चीतल, कृष्ण मृग जैसे कई वन्यजीव पाए जाते हैं. पहले यहां बड़ी संख्या में जंगली भैस और गेंडा भी मिलता था लेकिन बाद में ये विलुप्त हो गए. अब यहां फिर से गेंडा बसाने की परियोजना चलाई जा रही है.

व्यवसाय और जीवनशैली

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर ही आधारित है. गंगा, यमुना, गोमती, सरयू जैसी तमाम नदियां इस प्रदेश के मैदानी इलाकों को उपजाऊ बनाती हैं. देश में सबसे ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन का श्रेय इसी सूबे को जाता है. यहां मुख्य रूप से गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा और सभी तरह की दालें उगाई जाती हैं. गन्ना उत्पादन और चीनी बनाने में भी ये राज्य सबसे आगे है. आलू भी यहां बहुतायत में उगाया जाता है.

देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण यहां उद्योग धंधों की भी कोई कमी नहीं है. चीनी उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग, दियासलाई उद्योग, चमड़ा उद्योग, कागज उद्योग, कांच उद्योग और एल्यूमिनियम उद्योग यहां के प्रमुख हैं.

अन्य जानकारियां

उत्तर प्रदेश की कुल साक्षरता 67.72 फीसदी है. इसमें पुरुष साक्षरता दर 77.30 फीसदी और महिला साक्षरता दर 57.20 फीसदी है. गौतमबुद्ध नगर, कानपुर नगर और औरया जिला सबसे ज्यादा साक्षरता वाले जिले हैं. वहीं श्रावस्ती, बहराइच और बलरामपुर सबसे कम साक्षरता वाले जिले हैं. उत्तर प्रदेश में 1000 पुरुषों में 912 महिलाएं हैं. देश में सबसे ज्यादा 16.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग उत्तर प्रदेश में ही रहते हैं. यहां के सीतापुर जिले में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं.देश की मुख्य भाषा हिन्दी की जन्मस्थली भी उत्तर प्रदेश को माना जाता है. वाराणसी के भारतेन्दु हरिशचन्द्र उन अग्रणी लेखकों में से थे जिन्होंने हिंदी के इस स्वरूप का इस्तेमाल साहित्य के माध्यम से किया और इसे जन जन की भाषा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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