Uttarakhand Diwali 2024: दीपावली पर उल्लू की तस्करी रोकने के लिए वन विभाग की सख्त निगरानी, सघन गश्त अभियान शुरू
Uttarakhand Diwali 2024: Strict monitoring of forest department to stop smuggling of owls on Diwali, intensive patrolling campaign started
Uttarakhand Diwali 2024: दीपावली के पर्व के आगमन के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। सर्दियों का मौसम आते ही वन्य जीवों, विशेषकर उल्लू की तस्करी की घटनाएं बढ़ने का अंदेशा रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने जंगलों में गश्त बढ़ा दी है और संभावित तस्करी क्षेत्रों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
उत्तराखंड के आरक्षित वन क्षेत्रों में वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं आमतौर पर सामने आती रहती हैं। हालांकि, वन विभाग की सतर्कता के चलते कई बार शिकारियों के मंसूबों को नाकाम किया गया है। बावजूद इसके, त्योहारी सीजन, खासकर दीपावली के समय उल्लू की तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। तस्कर इस दौरान उल्लू की पूजा और उसके अंगों का तंत्र-मंत्र में उपयोग करने के लिए इनका शिकार करते हैं, जिससे उल्लू की मांग और कीमत बढ़ जाती है। कई बार इनकी कीमत लाखों रुपये तक पहुंच जाती है, जो तस्करों को जंगलों की ओर आकर्षित करती है।
कालसी वन प्रभाग की टिमली रेंज, जहां उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से जुड़ी हुई हैं, तस्करों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्र मानी जाती है। इस क्षेत्र में तीन राज्यों की सीमा लगने के कारण तस्कर अक्सर इसे शिकार के लिए आदर्श स्थान मानते हैं। लेकिन इस बार वन विभाग ने कोई ढिलाई न बरतते हुए सीमाओं पर कर्मियों की मुस्तैदी बढ़ा दी है और सघन चेकिंग अभियान भी शुरू कर दिया है।
उल्लू तस्करी के पीछे अंधविश्वास का हाथ
दीपावली के अवसर पर उल्लू की तस्करी के पीछे अंधविश्वास की बड़ी भूमिका मानी जाती है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी का वाहन होने के कारण उल्लू की पूजा से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसी के चलते, उल्लू के अंगों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र विधियों में किया जाता है। तस्कर उल्लू को पकड़ने के बाद इन अंगों को ऊंची कीमत पर बेचते हैं, जिससे उनकी तस्करी तेजी से बढ़ जाती है। इस अंधविश्वास और अज्ञानता की वजह से उल्लू जैसे महत्वपूर्ण पक्षी का जीवन खतरे में पड़ जाता है।
वन विभाग ने बढ़ाई सुरक्षा
कालसी वन प्रभाग के टिमली रेंज के वन रेंजर मुकेश कुमार ने बताया कि सर्दियों के शुरू होते ही शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही दीपावली का पर्व भी नजदीक है, जिसके चलते उल्लू की तस्करी की घटनाएं बढ़ने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है और विभाग की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं, ताकि तस्करों को कोई मौका न मिल सके।
वन विभाग की टीम जंगलों में नियमित रूप से गश्त कर रही है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही है। विशेष रूप से उन इलाकों पर ध्यान दिया जा रहा है, जहां पहले भी वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे वन्यजीवों की सुरक्षा में सहयोग कर सकें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने तस्करों को पकड़ने और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी व्यवस्था लागू की है। किसी भी तरह की तस्करी की गतिविधि को रोकने के लिए सभी संभावित इलाकों में विशेष टीमों की तैनाती की गई है और लगातार गश्त जारी है।
वन विभाग की इस सक्रियता से उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार दीपावली के मौके पर उल्लू की तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लगेगा और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। विभाग के इस प्रयास से न केवल उल्लू बल्कि अन्य वन्य जीवों को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।