Hydropower Project Uttarakhand: उत्तराखंड को ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी सफलता, सिरकारी भयोल रूपसियाबगड़ परियोजना को मिली केंद्र से हरी झंडी
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में प्रस्तावित सिरकारी भयोल रूपसियाबगड़ जल विद्युत परियोजना को केंद्र सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। इस परियोजना से हर साल 529 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और राज्य की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी। परियोजना पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें किसी भी प्रकार का विस्थापन नहीं होगा।
Hydropower Project Uttarakhand: उत्तराखंड के लिए ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सामने आई है। राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों के बाद केंद्र सरकार ने सिरकारी भयोल रूपसियाबगड़ जल विद्युत परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह परियोजना पिथौरागढ़ जिले में स्थित गोरी गंगा नदी पर प्रस्तावित है और इससे राज्य की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
29.997 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण को मिली स्वीकृति
इस जल विद्युत परियोजना के लिए राज्य सरकार ने कुल 29.997 हेक्टेयर वन भूमि को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने इस प्रस्ताव पर विचार करते हुए परियोजना को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की है। यह निर्णय राज्य के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील ढांचा
इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे पर्यावरणीय मानकों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। निर्माण कार्य के दौरान प्राकृतिक संसाधनों पर न्यूनतम प्रभाव पड़े, इसके लिए परियोजना के अधिकांश ढांचे भूमिगत बनाए जाएंगे। लगभग एक किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण भी प्रस्तावित है ताकि सतह पर निर्माण की आवश्यकता कम से कम हो।
प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्रों से दूर है परियोजना क्षेत्र
इस परियोजना को लेकर एक राहत की बात यह भी है कि इसका क्षेत्र किसी भी संरक्षित वन क्षेत्र या पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील (ईको सेंसिटिव) क्षेत्र में नहीं आता है। इससे स्वीकृति प्रक्रिया में जटिलताएं नहीं आईं और परियोजना को जल्दी मंजूरी मिल सकी। यह पहलू इस परियोजना को पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए विकास का आदर्श उदाहरण बनाता है।
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विस्थापन से रहित होगी परियोजना
जहां अधिकांश विकास परियोजनाएं सामाजिक विस्थापन का कारण बनती हैं, वहीं इस जल विद्युत परियोजना की विशेष बात यह है कि इसमें किसी भी व्यक्ति या समुदाय को विस्थापित नहीं किया जाएगा। इस निर्णय से स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी और परियोजना के प्रति सामाजिक समर्थन भी मजबूत होगा।
हर वर्ष होगा 529 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन
परियोजना से हर साल अनुमानित रूप से 529 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। यह उत्पादन राज्य की वर्तमान और भविष्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा। उत्तराखंड में गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसमों में बिजली की खपत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यह परियोजना राज्य की ऊर्जा आपूर्ति में स्थायित्व लाने का कार्य करेगी।
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मुख्यमंत्री ने जताया केंद्र सरकार का आभार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना की स्वीकृति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री पहले भी कई बार इस परियोजना को स्वीकृति दिलाने के लिए केंद्र के समक्ष इसका महत्व रख चुके थे। अब जब इसे मंजूरी मिल गई है, तो राज्य सरकार शीघ्र ही परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में कदम बढ़ाएगी।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर राज्य का एक और कदम
इस परियोजना की शुरुआत से न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि यह स्थानीय रोजगार और क्षेत्रीय विकास में भी मददगार साबित होगी। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में जल विद्युत परियोजनाएं विकास का स्थायी और पर्यावरण-सम्मत विकल्प बन सकती हैं।
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