दुनिया ने कहा नामुमकिन, एलिसा ने कहा... यही तो मेरा मिशन है!

जहां लोग सपनों को छोड़ देते हैं, एलिसा ने उन्हें पकड़कर अंतरिक्ष तक पहुंचा दिया।

हर कदम पर चुनौतियाँ आईं, लेकिन उसका हौसला कभी नहीं डगमगाया।

महज़ 12 साल की उम्र में उसने मंगल पर जाने का सपना देखा  और हार नहीं मानी।

उसके पिता उसकी ताकत बने, और हर उड़ान में उसके साथ खड़े रहे।

आज एलिसा सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, लाखों बेटियों के लिए उम्मीद की मिसाल बन चुकी है।