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Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा कब है? जानें दीपदान का महत्व और पूजा विधि

जिस तरह कार्तिक अमावस्या पर पूरा देश दीये जलाकर दिवाली मनाता है, उसी तरह 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवता दिवाली मनाते हैं। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी।

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा को पंचांग की सबसे पवित्र तिथि माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की तिथि ईश्वरीय कृपा और ऊर्जा से भरपूर होती है। इसलिए इस दिन किए गए स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। जिस तरह पूरा देश कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाकर दिवाली मनाता है। इसी तरह 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देवता दिवाली मनाते हैं। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी।

पूर्णिमा तिथि का महत्व

पूर्णिमा तिथि को संपूर्णता की तिथि माना जाता है। इस तिथि के स्वामी स्वयं चंद्र देव हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जल और वातावरण विशेष ऊर्जा से भरपूर होते हैं। इसीलिए नदियों और सरोवरों में स्नान करना शुभ माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने से नौ ग्रहों की कृपा आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी माना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा तिथि

इस वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:20 बजे से 15 नवंबर को मध्य रात्रि 2:59 बजे तक रहेगी। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 नवंबर को ही रखा जाएगा।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें। अगर संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें। साथ ही शाम के समय मुख्य द्वार, मंदिर और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं। इस दिन दीप दान का विशेष महत्व होता है।

भगवान विष्णु और तुलसी पूजा

कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन के बाद घर में भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और उनके चरणों में पीले फूल चढ़ाएं। फिर तुलसी माता की पूजा करें और जल चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक करें। उन्हें बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल चढ़ाएं और साथ ही “ॐ नमः शिवाय” के मंत्र का जाप करें।

दान

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल, घी और आटा दान करें। गाय दान का भी महत्व है, लेकिन अगर यह संभव न हो तो आप गौ सेवा भी कर सकते हैं।

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Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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