PM Modi Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला पॉडकास्ट इंटरव्यू जारी हुआ। जिसमें उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए। रिलीज होने के बाद से ही यह इंटरव्यू चर्चा में है। पीएम मोदी ने इसमें कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के बारे में बात की। इसके साथ ही पीएम ने शी जिनपिंग से हुई बातचीत का भी जिक्र किया। आइए जानते हैं जिनपिंग से हुई बातचीत के बारे में और कौन हैं ह्वेन त्सांग?
पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच क्या है कनेक्शन?
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जब मैं प्रधानमंत्री बना तो चीन के राष्ट्रपति का फोन आया और उन्होंने मुझे बधाई दी। फिर उन्होंने खुद कहा कि वो भारत आना चाहते हैं। इस पर मैंने उनसे कहा कि आप जरूर आइए।
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उन्होंने गुजरात आने की इच्छा जताई और मेरे गांव वडनगर आने की भी बात कही। इस पर मैंने उनसे पूछा कि आपने इतना तय कर लिया है, तो उन्होंने मुझे बताया कि मेरा और उनका (शी जिनपिंग का) एक खास रिश्ता है और यह चीनी दार्शनिक ह्वेन त्सांग से जुड़ा है।
उन्होंने बताया कि ह्वेन त्सांग आपके पीएम मोदी के गांव में सबसे लंबे समय तक रहे थे। इसके बाद जब वे चीन लौटे तो उनके (जिनपिंग के) गांव में रहने आए। यही हम दोनों के बीच का संबंध है।
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ह्वेन त्सांग कौन थे?
ह्वेन त्सांग एक चीनी यात्री थे। ह्वेन त्सांग का जन्म 602 ई. के आसपास चीन के लुओयांग में हुआ था। चीनी यात्रियों में ह्वेन त्सांग का सबसे अधिक महत्व है। उन्हें ‘यात्रियों का राजकुमार’ कहा जाता है। इसके साथ ही उन्हें मु-चा ति-पो भी कहा जाता है।
ह्वेन त्सांग बुद्ध के बारे में जानना चाहते थे और इसीलिए वे उस समय नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करना चाहते थे। नालंदा में उस समय दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध पुस्तकालय था। ह्वेन त्सांग 7वीं शताब्दी में भारत आए थे। उस समय उन्होंने देश के कई बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया था।
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भारत आने के बाद ह्वेन त्सांग को संस्कृत भाषा से विशेष प्रेम हो गया था, जिसे सीखने के बाद उन्होंने बौद्ध धर्मग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद भी किया, यही वजह है कि आज भी उन्हें एक अच्छा अनुवादक माना जाता है।
भारत में बिताया 15 साल से ज़्यादा समय
ह्वेन त्सांग 15 साल से ज़्यादा समय तक भारत में रहे। इस दौरान ह्वेन त्सांग ने कश्मीर, सियालकोट, कन्नौज, नालंदा और राजस्थान समेत भारत के कई हिस्सों का दौरा किया। उन्होंने अपनी यात्रा और तत्कालीन भारत के बारे में अपनी किताब “सी-यू-की” में विस्तार से लिखा है।
ह्वेन त्सांग ने हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत का दौरा किया था। ह्वेन त्सांग ने 7वीं शताब्दी में हरिद्वार का भी दौरा किया था। उन्होंने इसका उल्लेख ‘मोन्यु-लो’ नाम से किया है।
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