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Yogi Adityanath Statement: योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान: “1526 में संभल और 1528 में अयोध्या के मंदिर तोड़े गए”

Yogi Adityanath Statement: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संभल और अयोध्या में सदियों पहले मंदिरों को तोड़ा गया था। उन्होंने बताया कि 1526 में संभल के हरि मंदिर को ध्वस्त किया गया, जिसके बाद 1528 में अयोध्या के राम मंदिर को तोड़ा गया। उनके बयान ऐतिहासिक घटनाओं और मंदिर विध्वंस के महत्व को उजागर करते हैं।

Yogi Adityanath Statement: लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक मंदिरों के विध्वंस को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “इस्लाम लगभग 1400 साल पहले आया, लेकिन उससे भी 3500 वर्ष पहले ही संभल में मंदिरों का निर्माण किया जा चुका था।”

संभल और अयोध्या के मंदिरों पर हमला

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 1526 में संभल के हरी मंदिर को तोड़ा गया और इसके ठीक दो साल बाद, 1528 में अयोध्या के राम मंदिर को गिराया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इन मंदिरों को नष्ट करने की घटनाओं में मीर बाकी की भूमिका रही थी। मीर बाकी मुगल शासक बाबर का सेनापति था, जिसे बाबरी मस्जिद के निर्माण से जोड़ा जाता है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में कहा कि भारत की सनातन संस्कृति हजारों वर्षों पुरानी है और इसे कमजोर करने के लिए कई षड्यंत्र किए गए। उन्होंने कहा कि मंदिरों के ध्वंस का इतिहास केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

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योगी आदित्यनाथ ने दिया ऐतिहासिक संदर्भ

मुख्यमंत्री ने अपने बयान में हिंदू धर्म की प्राचीनता पर जोर देते हुए कहा कि “हमारी सभ्यता हजारों साल पुरानी है और भारत में पहले से ही भव्य मंदिर मौजूद थे, जिन्हें आक्रमणकारियों ने ध्वस्त किया।” उन्होंने कहा कि यह केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

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योगी आदित्यनाथ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में अयोध्या में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद देशभर में इस विषय पर बहस तेज हो गई है। उनके इस बयान को हिंदू आस्था से जुड़े मुद्दों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बयान माना जा रहा है।

Yogi Adityanath Statement: Yogi Adityanath’s big statement: “The temples of Sambhal were demolished in 1526 and Ayodhya in 1528”

धार्मिक स्थलों को नष्ट करने की साजिश

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के प्राचीन धार्मिक स्थलों को नष्ट करने की साजिशों को इतिहास में दर्ज किया गया है और इस बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संभल और अयोध्या के मंदिरों पर हुए आक्रमण इस बात का प्रमाण हैं कि किस तरह हिंदू संस्कृति को कमजोर करने के प्रयास किए गए थे।

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राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल देखी जा रही है। भाजपा समर्थकों ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास को पुनः जीवंत करने का प्रयास है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाला बयान बताया है।

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को अतीत की घटनाओं से अधिक वर्तमान समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। वहीं, हिंदू संगठनों ने योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया और इसे हिंदू संस्कृति के पुनरुत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और हिंदू जागरूकता

योगी आदित्यनाथ के इस बयान को राम मंदिर निर्माण से भी जोड़ा जा रहा है। हाल ही में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ, जिसने देशभर में हिंदू समुदाय को एक नई ऊर्जा दी है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह केवल एक मंदिर का पुनर्निर्माण नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्या है भविष्य की रणनीति?

योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि सरकार भारत की सनातन संस्कृति को सुरक्षित रखने और हिंदू धरोहर को सहेजने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि “जो हुआ, उसे भुलाया नहीं जा सकता, लेकिन अब हमें अपनी विरासत को पुनः स्थापित करने की दिशा में कार्य करना होगा।”

योगी आदित्यनाथ का यह बयान ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे भारत के मंदिरों के इतिहास और उनकी सांस्कृतिक पहचान को लेकर नई बहस छिड़ गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह विषय और अधिक चर्चा का केंद्र बन सकता है। विपक्ष जहां इसे सांप्रदायिक बयान बता रहा है, वहीं भाजपा और हिंदू संगठनों के लिए यह हिंदू संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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