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अक्षय तृतीया से होती है भक्तों की हर मुराद पूरी, जाने अक्षय तृतीया के चमत्कारिक लाभ

नई दिल्ली: अक्षय तृतीया अर्थात एक ऐसी तिथि जिस दिन किया गया दान पुण्य कभी नष्ट नही जाता, तथा पुराणों में इस तिथि का अत्याधिक महत्व माना गया है।

अक्षय तृतीया : शुभ अवसर
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का अत्याधिक महत्व माना गया है, हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।पुराणों में उल्लेख है कि अक्षय तृतीया सभी पापों का नाश करने वाली एवं समस्त सुखों को प्रदान करने वाली तिथि है। मान्यता है इस दिन बिना शुभ मुहूर्त निर्धारित किया जाने वाला कार्य भी शुभफलदायी सिद्ध होता है। इस दिन किया गया दान-पुण्य एवं सत्कर्म अक्षय रहता है अथवा वह कभी नष्ट नही जाता। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज का दिन व्यवसाय, विवाह तथा अन्य शुभ कार्यों के लिए कल्याणकारी व मंगलकारी माना गया है।

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Akshaya Tritiya

अक्षय तृतीया का पौराणिक काल से महत्व
पौराणिक काल में कई शुभ कार्य आज की तिथि से ही शुरू हुए थे उदाहरण के तौर पर त्रेता युग की शुरुआत भी आज के दिन हुई थी, महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना की शुरआत भी आज के दिन से की थी तथा भगवान श्री विष्णु जी के 6ठें स्वरूप भगवान श्री परशुराम जी भी आज ही के दिन अवतरित हुए व जगत उद्धार किया था। इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है।
और माँ गंगा भी आज के ही दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई इसलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है। आज के दिन माँ लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है क्योंकि भगवान शिव ने अक्षय तृतीया पर ही भगवान कुबेर को माँ लक्ष्मी जी की पूजा वंदना की सलाह दी थी। तो इस प्रकार पौराणिक काल से ही इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है।

अक्षय तृतीया पर पूजा का विधान
आज के दिन भगवान श्री हरि व माता लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है इनकी आराधना से भक्तो पर धन, धैर्य व समृद्धि की वर्षा होती होती है आइये अब आपको बताते है किस प्रकार करे देवी देवताओं को प्रसन्न

  1. सर्वप्रथम प्रातः सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत हो जाएं।
  2. आज के दिन पवित्र नदी में स्नान का अधिक महत्व माना गया है परंतु यदि यह संभव न हो तो नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें व स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
  3. अब भगवान श्री विष्णु जी व माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करें।
  4. अब भगवान जी को जौ, गेंहू, सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का नैवेद्य अर्पित करें।
  5. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करवाएं।
  6. इस दिन चावल, भूमि, बर्तन, वस्त्र इत्यादि का दान शुभफलदायी माना गया है।
    इस प्रकार विधिवत पूजा से भगवान श्री हरि व माता लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होंगे व आपको मनवान्छित फल की प्राप्ति होगी।
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Team News Watch India

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