वाराणसी: जिला एवं सत्र न्यायालय के जज डॉ एके विश्वेश की अदालत में सोमवार को ज्ञानवापी श्रंगार गौरी-मस्जिद मामले में आर्डर 7 रुल, 11 के तहत वाद पोषणीयता (मामले के चलाये के योग्य होने अथवा न होने) पर सुनवाई हुई।
मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने हिन्दू पक्ष की अर्जी पर दिये गये 51 बिन्दुओं में अधिकांश पर अपनी दलीलें रख चुका है। इससे पहले 30 मई को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष अपनी सुनवाई पूरी नहीं कर सका था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई तय की है, जिसमें मुस्लिम पक्ष के कानूनी पक्ष रखने के बाद हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता अपनी दलीलें रखेंगे। अभयनाथ यादव ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर वायरल होने और कुछ कानूनी दस्तावेज खोजने का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए कुछ दिन का समय मांगा था, इस पर दोनों पक्षों की सहमति से जिला अदालत ने सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि निर्धारित की ।
मुस्लिम पक्ष ने द प्लेस आफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन्स) एक्ट 1991 का हवाला देते हुए श्रृंगार गौरी की पूजा करने के अधिकार देने संबंधी अर्जी को सुनने योग्य न मानते हुए अदालत से इसे खारिज करने की मांग की थी, जबकि हिन्दू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने याचिकाकर्ता महिलाओं का ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा करने की अनुमति दिया जाना उनका वैधानिक धार्मिक अधिकार बताया। एक माह और चार दिन बाद हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के मात्र 49 लोगों को जिला एवं सत्र न्यायालय में उपस्थित रहने की अनुमति थी।
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हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन का कहना है कि उन्होने अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर मांग की है कि इस मामले की नियमित सुनवाई की जानी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द इसको निरस्तारण हो सके।
उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में मई में हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अदालत को अवगत कराया था कि सिविल अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दो बार हुई कमिश्नर कोर्ट द्वारा किये गये कई दिवसीय सर्वे के वीडियो-फोटो लीक होने की शिकायत की थी। तब हिन्दू पक्ष की याचिकाकर्ताएं सीता साहू, रेखा यादव, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास ने जिला जज अदालत पहुंचकर अदालत द्वारा उन्हें सौंपे गये सर्वे के वीडियो-फोटो वाले सीलबंद लिफाफो को वापस करने की पेशकश की, लेकिन अदालत ने उनकी पेशकश ठुकरा दी थी। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय, प्रयागराज ने निचली अदालत को इस मामले का निस्तारण 84 दिन के अंदर किया जाना है।