नई दिल्ली: आज के समय में बीमार लोग भी 10 बार डॉक्टर के पास जाने से घबराते हैं. क्योंकि दवाओं के भाव बढ़ते ही जा रहे है. लोग लिखे हुए रेट से बढ़ा-बढ़ाकर मार्केट में बेचते है. कई बार तो लोग दवाओं के महंगे होने के कारण मेडिसीन नहीं ले पाते जिसके कारण बीमारी बढ़ने के साथ खतरा भी बढ़ता जा रहा है. देश में महंगाई की मार से आम आदमी परेशान है. हर चीजों के दाम आए दिन आसमान छू रहे है. ऐसे में दवाइयां भी जरूरत से ज्यादा महंगी हो जाएं तो आम आदमी के लिए इससे बड़ा झटका नहीं हो सकता है.
आज के समय में लोगों को बीमारी का इलाज कराना महंगा पड़ता जा रहा है. कई इस तरह के मामले सामने भी सामने आ चुके है. कि केमिस्ट ओवररेट पर दवाओं की बिक्री करते हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए अब दवा की कीमतों के लिए बनी नियामक एजेंसी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 84 दवाओं (Medicines) की खुदरा कीमत तय कर दी है. इसके बाद कोई भी केमिस्ट ओवर रेट पर दवा नहीं बेच पाएगा.
NPPA ने जिन जरूरी दवाओं के दाम बदले हैं, उनमें डायबिटीज (Diabetes), सिरदर्द, हाई ब्लडप्रेशर (High Blood Pressure) के इलाज में काम आने वाली दवाएं (Medicines) शामिल हैं. इस बदलाव से कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिराइड लेवल घटाने में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दाम भी कम हो जाएंगे. वहीं एक पैरासिटामोल-कैफीन (Paracetamol-Caffeine) टैबलेट 2.88 रुपये, रोसुवास्टानिन एस्पिरिन एंड क्लोपिडोग्रेल कैप्सूल 13.91 रुपये और वोग्लिबोस एंड (एसआर) मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट 10.47 रुपये की मिलेगी.
सिप्ला और प्योर एंड केयर हेल्थकेयर (Cipla and Pure & Care Healthcare) द्वारा बेची जाने वाली एटोरवास्टेटिन और फेनोफिब्रेट टैबलेट अब 13.87 रुपये में मिलेगी. इस दवा का उपयोग ह्रदय रोग और मधुमेह पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण NPPA ने नोटिफिकेशन में कहा है कि फार्मा कंपनियों को निश्चित कीमतों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें वसूली की गई अतिरिक्त कीमत का ब्याज सहित भुगतान करना होगा.