नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पश्चमी इलाके मुंडका मैट्रो रेलवे स्टेशन के पास चार मंजिला व्यावसायिक बिल्डिंग में फायर सिस्टम मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गयी थी। इस व्यवसायिक बिल्डिंग के मालिक ने फायर सिस्टम मानकों को पूरा करके फायर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिया होता, तो शायह यह जान लेवा भंयकर हादसा नहीं होता।
बता दें कि शुक्रवार शाम मुंडका मैट्रो रेलवे स्टेशन के पास चार मंजिला व्यावसायिक बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर एक मीटिंग हाल में जनरेटर की चिंगारी से आग लग गयी थी। भयावह अग्निकांड में करीब तीन दर्जन लोगों की आग में जलकर व धुएं में दम घुटने से मौत हो गयी थी और दो दर्जन से अधिक लोग घायल और इतने ही अभी लापता बताये गये हैं। मृतकों में दो फायर विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। इस हादसे के लिए बिल्डिंग के मालिक के साथ-साथ क्षेत्रीय फायर विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। इनके द्वारा फायर नियमों में घोर लापरवाही बरती गयी है।
इस बिल्डिंग के दूसरी मंजिल पर जिस कंपनी का दफ्तर था और जहां मीटिंग के दौरान आग लगी थी, उसके मालिक वरुण गोयल, हरीश गोयल और बिल्डिंग मालिक मनीष लाकडा के खिलाफ आईपीसी की धारा 304,308,120 और 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने आरोपी वरुण गोयल और हरीश गोयल गिरफ्तार कर लिया है।
चार मंजिला बिल्डिंग में फायर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए बिल्डिंग में जिन आवश्यक मानकों और उपकरणों का होना चाहिए, उनमें फायर एक्सटिंग्वशर, हर फ्लोर पर होज रील, डाउन कमर सिस्टम, वेट राइजिंग सिस्टम, हर फ्लोर पर हाईड्रेंट प्लाइंट, 30 मीटर लम्बाई की डिलीवरी होज पाइप लाइन, मैनुएली ओपरेटिड फायर अलार्म, टैरेस टैंक के पास 900 लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले इलैक्ट्रिक पाइप और प्रत्येक फ्लोर पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम होने के साथ ही स्मॉक डिटेक्टर होना आवश्यक है, लेकिन मुंडका की इस चार मंजिला बिल्डिंग में इन मानकों का पालन नहीं किया गया था, यही वजह है कि इतना बड़ा हादसा हो गया।
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इस मामले में फायर विभाग और पुलिस के अधिकारी जांच कर रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद ही सारी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। फिलहाल फारेंसिक जांच टीम के अधिकारी यहां मिले शवों की पहचान के लिए डीएनए व दूसरी साइंटिफिक जांच करने में जुटे हैं।