नई दिल्ली: भारत का पडौसी मुल्क श्रीलंका इन दिनों भीषण संकट में है। श्रीलंका को बुरे दौर से निकालने के लिए देश की जनता का विश्वास जीतकर सामूहिक प्रयासों से हालात में सुधार लाने को कोशिश करने की बजाय वहां के राष्ट्रपति गोयावाटा राजपक्षे कथित तौर पर देश छोड़कर भाग गये हैं और प्रधानमंत्री महेन्द्र राजपक्षे ने भी राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींचते हुए अपने पद से ही इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति गोयावाटा राजपक्षे 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं और नये राष्ट्रपति की घोषणा होने तक लोकसभा के स्पीकर कार्यभार संभाल सकते हैं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों से ही वहां की जनता का विश्वास उठ जाने से श्रीलंका पूरी तरह के बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। हालांकि श्रीलंका के सीडीएस ने अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए श्रीलंका के नागरिकों से देश में शांति और धैर्य बनाये रखने की अपील की है। इसके बावजूद भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के नागरिकों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। इसी आक्रोश का नतीजा है कि आक्रोशित हजारों लोगों की भीड़ ने न केवल श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था, बल्कि प्रधानमंत्री महेन्द्र राजपक्षे के घर को फूंक डाला था।
ये भी पढ़ें-अमरनाथ यात्रा हादसाः लापता लोगों की मलबे में तलाश जारी, तीसरे दिन भी राहत और बचाव कार्य जोरों पर
श्रीलंका में हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि वहां केवल आर्थिक संकट ही नहीं आवश्यक खाद्य पदार्थों की भारी कमी, डीजल-पैट्रोल की कीमतों में भारी उछाल होने और सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने से बिजली बनाने के लिए जरुरी ईंधन उपलब्ध न होने से बिजली उत्पादन न होने से बिजली संकट गहराया हुआ है। श्रीलंका में भ्रष्टाचार चरम पर होने पर सरकार की सारी व्यवस्था बुरी तरह चरमा गयीं और आज वहां अघोषित गृहयुद्ध जैसे हालात से जनता जूझ रही है लेकिन छोड़ विदेश भागे श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इस संकट की घड़ी में देश को ‘लावारिस’ हालात में छोड़कर केवल अपनी और अपने परिवार की रक्षा करने में लगे हैं। इसको लेकर भी जनता में इन दोनों के प्रति आक्रोश बढ रहा है।