ADR Report :17 महिला सांसद-विधायक करोड़पति, 28% पर आपराधिक केस दर्ज
ADR और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश की 17 महिला सांसद और विधायक करोड़पति हैं। वहीं, 28 प्रतिशत महिला जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह रिपोर्ट राजनीति में महिलाओं की आर्थिक स्थिति और छवि पर गहन दृष्टि प्रदान करती है।
ADR Report: भारत में महिला सशक्तिकरण को लेकर भले ही अनेक योजनाएं और कानून बनाए गए हों, लेकिन राजनीति में महिलाओं की स्थिति अब भी जटिल बनी हुई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) की ताज़ा रिपोर्ट ने महिला सांसदों और विधायकों की आर्थिक स्थिति और आपराधिक पृष्ठभूमि पर चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं।
धनकुबेर महिला जनप्रतिनिधि: 17 करोड़पति सांसद-विधायक
ADR रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कुल महिला सांसदों और विधायकों में से 17 ऐसी हैं जो करोड़पति हैं। इन नेताओं की संपत्ति करोड़ों रुपये में है और इनमें कई के पास दर्जनों जमीन-जायदाद और महंगी गाड़ियां भी हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन नेताओं की घोषित कुल संपत्ति कई पुरुष नेताओं को भी पीछे छोड़ती है।
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राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अब केवल संख्या तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि आर्थिक रूप से भी वे काफी सशक्त होती जा रही हैं। हालांकि, यह भी देखा गया है कि अधिकांश करोड़पति महिला नेता राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर की बड़ी राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी हुई हैं, जिससे यह भी संकेत मिलता है कि राजनीतिक पहुंच और संसाधन एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
28% महिला नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज
रिपोर्ट का एक और चिंताजनक पहलू यह है कि देश में 28% महिला सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ मामले गंभीर अपराधों से जुड़े हुए हैं, जैसे धोखाधड़ी, धमकी, हमला, और यहां तक कि हत्या की कोशिश जैसे आरोप भी शामिल हैं।
महिलाओं को राजनीति में स्वच्छ छवि के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन ADR की यह रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के राजनीतिक प्रवेश के साथ-साथ उन पर भी अपराध से जुड़े मामलों की छाया पड़ रही है। यह स्थिति न केवल लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है, बल्कि इससे महिला नेतृत्व की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
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राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी पर सवाल
रिपोर्ट में यह भी सवाल उठाया गया है कि आखिर राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को टिकट क्यों देते हैं जिन पर गंभीर आरोप लगे होते हैं। खासकर जब महिला आरक्षण और सशक्तिकरण की बातें की जाती हैं, तब ऐसी नियुक्तियां इन प्रयासों की साख पर आघात पहुंचा सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे साफ छवि और योग्य महिला उम्मीदवारों को प्राथमिकता दें, जिससे संसद और विधानसभा में न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़े, बल्कि उनकी छवि भी सशक्त और प्रेरणादायक बनी रहे।
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जनता की भूमिका भी अहम
राजनीतिक सफाई की प्रक्रिया में जनता की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है। चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों को चुनना जो न केवल शिक्षित और जागरूक हों, बल्कि जिनका आपराधिक रिकॉर्ड भी न हो, लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
ADR और NEW की रिपोर्ट भारत की महिला राजनीति की एक जटिल तस्वीर प्रस्तुत करती है—एक ओर आर्थिक सशक्तिकरण, तो दूसरी ओर आपराधिक मामलों की चुनौती। यह स्पष्ट करता है कि महिला सशक्तिकरण केवल संख्या बढ़ाने से नहीं होगा, बल्कि गुणवत्ता, नैतिकता और जवाबदेही पर भी जोर देना जरूरी है। सरकार, राजनीतिक दलों और मतदाताओं को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि महिला नेतृत्व न केवल प्रभावशाली हो, बल्कि भरोसेमंद भी।
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