नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच साल बाद जब उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे थे और वहां उन्होने 84 वर्षीया माता जी सावित्री देवी के पैर छूकर आर्शीवाद लिया तो मां ने भी सिर पर हाथ रखकर बेटे को अपना मातृत्व भरा आशीष दिया।
उस समय वे एक बुर्जुग मां के लिए किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री या कोई संत नहीं थे, बल्कि उनके संयास लेने से पहले वाले बेटे अजय ही थे। वह घर न केवल उनकी जन्म भूमि था, बल्कि उनकी बचपन और किशोर अवस्था के कितनी ही मधुर यादों का घरोंदा भी था। वहां योगी का एक नया ही रुप देखने को मिला था।
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मां-बेटे में हुई बातचीत में मां ने मुख्यमंत्री बेटे को एक सलाह भी दी, जिसे सुनकर योगी आदित्यनाथ बहुत खुश हुए। योगी जी की बहन शशि पयाल को कहना है कि मां ने भैया को कहा कि वे सबकी सेवा तो कर ही रहे हैं, गोसेवा भी करते रहें। संन्यास लेने के 28 बाद वे अपने किसी पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए। योगी जब अपने छोटे भाई महेन्द्र सिंह विष्ट के एक वर्षीय बेटे अनंत के चूड़ा संस्कार में शामिल हुए तो बच्चे को दुलारे हुए उनका ताऊ वाला रुप देखकर परिजनों के साथ-साथ सभी अभिभूत हुए।