Jhunjhunu Water Crisis: झुंझुनूं, सीकर और चुरू को जल्द मिलेगा यमुना का पानी, उपराष्ट्रपति धनखड़ की पहल लाई रंग
राजस्थान के जलसंकट झेल रहे झुंझुनूं, सीकर और चुरू जिलों के लिए राहत की खबर है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पहल पर इन इलाकों को यमुना का पानी उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने उपराष्ट्रपति से मिलकर इस महत्वपूर्ण योजना पर चर्चा की।
Jhunjhunu Water Crisis: राजस्थान के जल संकट झेलते जिलों – झुंझुनूं, सीकर और चुरू – के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की विशेष पहल के चलते अब इन क्षेत्रों को यमुना का पानी मिलने की दिशा में ठोस कदम बढ़ चुके हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर इस महत्त्वपूर्ण योजना को आगे बढ़ाने पर चर्चा की है।
जल जीवन मिशन के तहत अब झुंझुनूं, सीकर और चुरू जैसे सूखाग्रस्त जिलों को हथिनी कुंड बैराज से पानी पहुंचाने के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी, जिसके लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति जल्द की जाएगी। यह प्रोजेक्ट वर्षों से लंबित यमुना जल समझौते को साकार रूप देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
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जल संकट से जूझ रहे जिलों को मिलेगा स्थायी समाधान
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का गृह जिला झुंझुनूं लंबे समय से पेयजल संकट से जूझ रहा है। उनके प्रयासों से अब यमुना जल समझौते के तहत राजस्थान के इन जिलों तक पानी पहुंचाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। यह योजना न केवल पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी, बल्कि क्षेत्र के किसानों को भी राहत देगी।
किसानों के विरोध के बीच उपराष्ट्रपति की सक्रियता
हाल ही में चिड़ावा के लाल चौक पर किसानों ने यमुना का पानी लाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया था। इसके बाद उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मुलाकात कर इस विषय पर गंभीर चर्चा की। उनकी पहल के चलते डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जो इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने की दिशा में पहला ठोस कदम है।
यमुना जल समझौते का लंबा इतिहास
1994 में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच यमुना जल बंटवारा समझौता हुआ था, जिसमें राजस्थान को हर साल 1119 MCM पानी का आवंटन हुआ था। इसके बावजूद आवश्यक ढांचागत व्यवस्था नहीं होने के कारण राजस्थान को आज तक इसका लाभ नहीं मिल सका।
2001 में हुआ था आवंटन का निर्णय
2001 में यमुना अपर रिवर बोर्ड (UYRB) की 22वीं बैठक में यह तय किया गया था कि मानसून सीजन (जुलाई से अक्टूबर) के दौरान राजस्थान को 1917 क्यूसेक पानी (वार्षिक 577 MCM) दिया जाएगा। लेकिन हथिनी कुंड बैराज से राजस्थान तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन जैसे आधारभूत ढांचे के अभाव में यह प्रावधान अधूरा रह गया।
MoU और टास्क फोर्स बैठकें बनीं बदलाव की नींव
फरवरी 2025 में राजस्थान सरकार, हरियाणा सरकार और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के बीच एमओयू साइन हुआ। इसमें भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से हथिनी कुंड बैराज से राजस्थान तक पानी लाने के लिए संयुक्त डीपीआर बनाने पर सहमति बनी। इसके तहत टास्क फोर्स की पहली बैठक 7 अप्रैल को यमुनानगर (हरियाणा) में और दूसरी बैठक 25 अप्रैल को पलवल में आयोजित हुई।
केंद्रीय मंत्री ने की पुष्टि
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा, “जल संकट से जूझ रहे झुंझुनूं, सीकर और चुरू जिलों को यमुना का पानी दिलाने की दिशा में तेज़ी से कार्य हो रहा है। डीपीआर के लिए जल्द ही कंसल्टेंट नियुक्त किया जाएगा।”
उपराष्ट्रपति की भूमिका रही निर्णायक
उपराष्ट्रपति धनखड़ लंबे समय से अपने गृह क्षेत्र झुंझुनूं और आसपास के जिलों के जल संकट को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं। उनकी पहल से यह ऐतिहासिक प्रोजेक्ट अब धरातल पर उतरने की ओर बढ़ रहा है, जिससे लाखों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
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