Living Daughter Declared Dead: जब बेटी जिंदा होकर भी हुई ‘मृत’, सनम तेरी कसम की हकीकत जो दिल झकझोर दे!
यह घटना हैरान कर देने वाली है, लेकिन पूरी तरह सच्ची है। एक जिंदा बेटी का उसके ही परिवार द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके लिए मृत्युभोज का आयोजन हुआ, और समाज के सामने उसे मृत घोषित कर दिया गया। यह न केवल सामाजिक सोच पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में रूढ़िवादी मानसिकता किस कदर जड़ें जमाए बैठी है।
Living Daughter Declared Dead: यह घटना हैरान कर देने वाली है, लेकिन पूरी तरह सच्ची है। एक जिंदा बेटी का उसके ही परिवार द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके लिए मृत्युभोज का आयोजन हुआ, और समाज के सामने उसे मृत घोषित कर दिया गया। यह न केवल सामाजिक सोच पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में रूढ़िवादी मानसिकता किस कदर जड़ें जमाए बैठी है। इस खबर को पढ़ते ही बॉलीवुड फिल्म सनम तेरी कसम की कहानी याद आ जाती है, जिसमें भी नायिका को समाज के तानों और अपमान का शिकार होना पड़ता है।
क्या है मामला?
यह दर्दनाक घटना उत्तर भारत के एक छोटे से कस्बे की है, जहां एक युवती ने अपनी मर्जी से शादी कर ली। समाज और परिवार की इजाजत के बिना किया गया यह फैसला उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा अपराध बन गया। लड़की के परिवार ने न केवल उससे रिश्ता तोड़ लिया, बल्कि उसे समाज में ‘मृत’ घोषित कर दिया।
परिवार ने बाकायदा उसकी झूठी मौत की खबर फैलाई, अंतिम संस्कार की रस्में निभाईं, और मृत्युभोज का आयोजन किया। सैकड़ों लोग भोज में शामिल हुए और बेटी के नाम पर भोज करके यह जताया गया कि अब उसका इस परिवार से कोई नाता नहीं है।
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सनम तेरी कसम की याद क्यों?
बॉलीवुड फिल्म सनम तेरी कसम में भी कुछ ऐसा ही दिखाया गया था, जब समाज और परिवार मिलकर लड़की को तिरस्कृत कर देते हैं। उसे घर से निकाल दिया जाता है, अपमानित किया जाता है, और उसकी हर खुशी को छीन लिया जाता है। ठीक वैसे ही इस वास्तविक घटना में भी एक लड़की को अपने ही जीवन से ‘निकाल’ दिया गया।
फिल्म में भले ही अंत में नायक-नायिका का मिलन होता है, लेकिन इस असल कहानी में न कोई फिल्मी अंत है, न कोई सहानुभूति।
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समाज की मानसिकता पर सवाल
आज जब हम 21वीं सदी में हैं, लड़कियां चांद पर पहुंच रही हैं, फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं, तो क्या एक लड़की को अपने जीवन का निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए? क्या आज भी ‘इज्जत’ के नाम पर बेटियों को ‘मृत’ घोषित कर देना सही है?
यह घटना बताती है कि समाज के एक हिस्से में अब भी औरतों की स्वतंत्रता स्वीकार नहीं की जाती। बेटियां अगर परिवार की मर्जी के बिना कुछ करें तो उन्हें तिरस्कार, अपमान और बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।
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कानूनी और सामाजिक पहलू
हालांकि लड़की बालिग थी और कानूनन उसे अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है, लेकिन सामाजिक दबाव और परिवार की ‘इज्जत’ के नाम पर उसे भावनात्मक रूप से मृत घोषित कर देना, संविधान और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
ऐसे मामलों में सरकार और महिला आयोग को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण तब तक अधूरा है, जब तक समाज में ऐसी सोच खत्म नहीं होती।
यह खबर केवल एक लड़की की नहीं है, यह उन हजारों लड़कियों की कहानी है जो हर दिन सामाजिक बंधनों और रूढ़िवादी सोच के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं। सनम तेरी कसम जैसी कहानियां सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, हकीकत में भी घट रही हैं। जरूरत है ऐसे समाज को जागरूक करने की, बेटियों को अपना जीवन जीने का हक देने की, और उनके फैसलों का सम्मान करने की। जब तक यह सोच नहीं बदलेगी, तब तक बेटियों के लिए समाज में असली आज़ादी अधूरी रहेगी।
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