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Rajasthan Politics 2025: BJP विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस का बड़ा हमला, गहलोत-डोटासरा-जूली ने बताया लोकतंत्र की जीत

कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में अभिनेत्री उर्वशी रौतेला एक बार फिर अपने फैशन लुक को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने गोल्डन एम्बेलिश्ड गाउन के साथ एक बिकिनी शेप डायमंड क्लच कैरी किया, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

Rajasthan Politics 2025: की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब भाजपा के अंता से विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। इस फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं ने एकजुट होकर इसे लोकतंत्र और संविधान की जीत करार दिया है। कांग्रेस का दावा है कि पार्टी के दबाव और न्यायपालिका के आदेशों की अवहेलना के खिलाफ लगातार संघर्ष के बाद यह निर्णय संभव हो सका।

इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। सभी नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने एक सजायाफ्ता विधायक को जानबूझकर बचाने की कोशिश की, जो संविधान के खिलाफ है।

पढ़ें: Kanwar Lal Meena Membership Cancelled: राजस्थान की राजनीति में बड़ा उलटफेर, BJP विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द, अंता सीट पर होंगे उपचुनाव

‘कांग्रेस के दबाव में टूटा BJP का अड़ियल रुख’ – डोटासरा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कांग्रेस पार्टी के भारी दबाव और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली द्वारा हाई कोर्ट में ‘कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट’ की अर्जी लगाने के बाद आखिरकार भाजपा को सजायाफ्ता विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द करनी पड़ी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान सर्वोपरि है और कांग्रेस इसे बार-बार BJP और RSS को याद दिलाती रहेगी।”

डोटासरा ने पक्षपात का लगाया आरोप

डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट से 3 साल की सजा मिलने के बावजूद 23 दिन तक सदस्यता रद्द नहीं की गई। “विपक्ष के बार-बार चेतावनी देने और ज्ञापन सौंपने के बावजूद दंडित विधायक को बचाया गया, जो संवैधानिक प्रावधानों और न्यायालय के आदेश की खुली अवहेलना है।”

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‘जीत सत्य की हुई, कांग्रेस की लड़ाई रंग लाई’

डोटासरा ने आगे कहा कि यह निर्णय सत्य की जीत है और कांग्रेस की टीम लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा तैयार है।
“देश में दो कानून नहीं हो सकते। भाजपा को यह समझना होगा कि संविधान की पालना सभी पर अनिवार्य है।”

टीकाराम जूली ने लगाया ये आरोप

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस घटना को संविधान की गरिमा की पुनर्स्थापना बताया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक विधायक की सदस्यता खत्म होने का मामला नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक है।” जूली ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने फैसले को जानबूझकर 23 दिन तक लटकाया, जो न्यायपालिका और संविधान का अपमान है।

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लोकतंत्र के साथ धोखा हुआ- टीकाराम

नेता प्रतिपक्ष ने ये भी कहा कि हमें राज्यपाल से लेकर विधानसभा अध्यक्ष तक ज्ञापन देने पड़े और आखिरकार कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी, तब जाकर यह निर्णय हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि “जब किसी जनप्रतिनिधि को दो वर्ष या उससे अधिक की सजा हो, तो उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाती है। फिर भी देरी कर लोकतंत्र के साथ धोखा किया गया।”

‘यह निर्णय 23 दिन पहले होना चाहिए था’ – अशोक गहलोत

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस फैसले में हुई देरी पर सवाल उठाते हुए कहा,”यह निर्णय तो उसी दिन ले लेना चाहिए था जब सजा घोषित हुई थी। भाजपा सरकार को विपक्ष के दबाव में आकर 23 दिन बाद यह फैसला लेना पड़ा।” गहलोत ने इसे न्यायप्रिय जनता की जीत बताया और कहा कि यह स्पष्ट करता है कि भारत में संविधान और कानून सर्वोपरि हैं।

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