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RTE Violations: उत्तराखंड में शिक्षा का अधिकार अधिनियम होगा सख्ती से लागू, शिक्षा मंत्री ने दिए कड़े निर्देश

उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के सख्त अनुपालन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए मानकों का पालन न करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। दाखिलों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और मासिक समीक्षा अनिवार्य की गई है।

RTE Violations: उत्तराखंड में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 के सख्त अनुपालन को लेकर राज्य सरकार ने कमर कस ली है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बुधवार को अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें निजी और सरकारी दोनों तरह के विद्यालयों में आरटीई के तहत दाखिले को लेकर गहन मंथन किया गया। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश देने में हीलाहवाली किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बैठक में यह तय किया गया कि यदि किसी विद्यालय ने आरटीई के मानकों का उल्लंघन किया या पात्र बच्चों को दाखिला देने से इंकार किया, तो संबंधित विद्यालय के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। जिला स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) और ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) की जिम्मेदारी तय कर दी गई है।

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निजी विद्यालयों पर बढ़ेगी नजर

बैठक में यह विशेष रूप से चर्चा का विषय रहा कि प्रदेश के कई निजी विद्यालय आरटीई के तहत बच्चों को दाखिला देने में लापरवाही बरतते हैं। कई बार इसको लेकर शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं। ऐसे में अब सरकार ने निर्णय लिया है कि निजी स्कूलों की सघन निगरानी की जाएगी और समय-समय पर औचक निरीक्षण भी होंगे।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि कोई विद्यालय आरटीई के अंतर्गत निर्धारित मानकों का पालन नहीं करता है, तो उसे पहले नोटिस भेजा जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर विद्यालय की मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी। इस संबंध में सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे निजी विद्यालयों से आरटीई के तहत दाखिलों की विस्तृत रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से शिक्षा महानिदेशालय को उपलब्ध कराएं।

शासकीय और निजी दोनों विद्यालय होंगे निरीक्षण के दायरे में

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि केवल निजी विद्यालय ही नहीं, बल्कि शासकीय विद्यालयों का भी निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता, मूलभूत सुविधाएं, कक्षाओं की स्थिति, स्वच्छता, पुस्तकालय, खेलकूद की व्यवस्था और विद्यार्थियों की संख्या जैसे मापदंडों की जांच की जाएगी।

शिक्षा मंत्री ने अफसरों को स्पष्ट किया कि यह निरीक्षण केवल औपचारिकता न हो, बल्कि इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना होना चाहिए। जो विद्यालय इन मानकों पर खरे नहीं उतरते, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशों पर होगा अमल

बैठक में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से प्राप्त शिकायतों और सिफारिशों पर भी विचार किया गया। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों का गंभीरता से पालन हो और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आयोग की सिफारिशों के अनुसार कई विद्यालयों ने आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश नहीं दिया है, जिससे बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन हुआ है।

हर महीने होगी समीक्षा बैठक

शिक्षा मंत्री ने कहा कि RTE अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अब प्रत्येक माह समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। इन बैठकों में जिलों से प्राप्त रिपोर्टों की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा अफसरों को निर्देश दिया गया है कि वे क्षेत्र में सक्रिय रहकर विद्यालयों की स्थिति पर सतत निगरानी बनाए रखें।

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अधिकारियों को चेतावनी: लापरवाही पर नहीं मिलेगा मौका

बैठक के अंत में शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि किसी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए और शिक्षा का अधिकार अधिनियम पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लागू हो।

उत्तराखंड सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लेकर अब किसी भी प्रकार की ढिलाई के मूड में नहीं है। आने वाले समय में विद्यालयों के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को भी जवाबदेह बनाया जाएगा। सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को बराबरी का अवसर देने की दिशा में भी एक मजबूत पहल है।

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