Adi Kailash Yatra: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 77 वर्ष की उम्र में की आदि कैलाश यात्रा, शिव भक्ति में डूबा सोशल मीडिया
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 77 वर्ष की आयु में आदि कैलाश की कठिन यात्रा पूरी कर शिवभक्ति की अनूठी मिसाल पेश की। उन्होंने भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद लिया और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया। उनकी यह यात्रा श्रद्धा, साहस और प्रेरणा का प्रतीक बन गई है।
Adi Kailash Yatra: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि श्रद्धा और संकल्प उम्र की सीमाओं को नहीं मानते। 77 वर्ष की आयु में उन्होंने हिमालय की कठिन राहों से होते हुए पवित्र आदि कैलाश यात्रा पूरी की और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया। उनकी इस आध्यात्मिक यात्रा ने पूरे प्रदेश में एक नई चर्चा को जन्म दिया है।
शिवधाम की ओर बढ़े नतमस्तक रावत
27 मई को हरीश रावत अपने साथियों के साथ आदि कैलाश पहुंचे। इस पवित्र स्थल पर उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की और भगवान शिव के चरणों में शीश नवाया। यात्रा के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, “आदि कैलाश जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भोलेनाथ से सबके कल्याण की प्रार्थना करता हूं।” उनका यह संदेश कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर लोग उनकी आस्था और जज्बे की सराहना करने लगे।
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आदि कैलाश का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आदि कैलाश को शिव कैलाश, छोटा कैलाश या बाबा कैलाश के नामों से भी जाना जाता है। यह पवित्र स्थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से उतना ही महत्व रखता है जितना तिब्बत का कैलाश पर्वत। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां भगवान शिव परिवार सहित वास करते हैं। इस कारण आदि कैलाश को शिवभक्तों का परम तीर्थस्थल माना जाता है।
पीएम मोदी भी कर चुके हैं दर्शन
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आदि कैलाश के दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी। पीएम की यात्रा के बाद से इस क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी है और अब हरीश रावत की यात्रा ने इसे और सुर्खियों में ला दिया है।
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कैसे करें आदि कैलाश की यात्रा
आदि कैलाश तक पहुंचने के लिए यात्रियों को पहले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आना होता है। दिल्ली से पिथौरागढ़ की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है। पिथौरागढ़ से 90 किलोमीटर दूर धारचूला है, जहां से यात्रा शुरू होती है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जो चंपावत जिले में है। टनकपुर से धारचूला की दूरी लगभग 237 किलोमीटर है। धारचूला से आगे का मार्ग पहाड़ी और साहसिक है।
इनर लाइन परमिट अनिवार्य
आदि कैलाश की यात्रा करने वालों को इनर लाइन परमिट लेना जरूरी होता है, जो धारचूला में जिला प्रशासन द्वारा जारी किया जाता है। यह परमिट यात्रा की सुरक्षा और निगरानी के लिए अनिवार्य है।
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शिवभक्ति में डूबा उत्तराखंड
हरीश रावत की इस यात्रा ने न केवल धार्मिक भावना को जाग्रत किया, बल्कि यह भी साबित किया कि आध्यात्मिकता उम्र की मोहताज नहीं होती। उनके इस समर्पण ने युवाओं को एक सकारात्मक संदेश दिया है कि सच्ची भक्ति में न दिखावा होता है, न कोई उम्र की सीमा।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की आदि कैलाश यात्रा एक प्रेरक उदाहरण है कि जब मन श्रद्धा से भरा हो तो पहाड़ भी झुक जाते हैं। उनका यह अनुभव ना केवल एक धार्मिक यात्रा था, बल्कि आस्था, साधना और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गया है। उत्तराखंड में एक बार फिर शिवभक्ति की लहर दौड़ पड़ी है, जिसमें हर उम्र के लोग खुद को जोड़ते हुए महसूस कर रहे हैं।
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