Uttarakhand Monsoon : उत्तराखंड में जल्द देगा मानसून दस्तक, सीएम धामी ने की आपदा प्रबंधन की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
उत्तराखंड में मानसून का इंतजार बढ़ रहा है जबकि केरल में मानसून समय से पहले पहुंच गया था। आमतौर पर केरल से उत्तराखंड पहुंचने में 20 दिन लगते हैं लेकिन इस बार देरी हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार अगले एक सप्ताह में मानसून के पहुंचने की संभावना है। पर्वतीय क्षेत्रों में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया गया है।
देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की आहट के साथ ही राज्य सरकार ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में आगामी दिनों में भारी वर्षा की संभावना जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों और राज्य के सभी जिलाधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।
15 मिनट में जेसीबी मौके पर पहुंचाने के निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने मानसून के दौरान संभावित भूस्खलन की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसी भी आपदा की स्थिति में 15 मिनट के भीतर जेसीबी मशीनें घटनास्थल पर पहुंच जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने राज्यभर में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का लैंडस्लाइड मैप तैयार करने को भी कहा, ताकि संवेदनशील स्थानों की पहले से पहचान हो सके।
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पुलों की सुरक्षा जांच और पैच वर्क पर विशेष ध्यान
सीएम ने कहा कि बरसात से पूर्व सभी प्रमुख सड़क पुलों का सुरक्षा ऑडिट किया जाए और आवश्यकता अनुसार मरम्मत कार्य तुरंत शुरू किया जाए। विशेषकर हल्द्वानी-कैंची धाम, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर ध्यान केंद्रित करते हुए सड़क मरम्मत और पैच वर्क को प्राथमिकता दी जाए।
एम्बुलेंस और हेलीकॉप्टर सेवाओं में सुधार के निर्देश
मौसम से जुड़ी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने पुराने और खराब हो चुकी एम्बुलेंस वाहनों को बदलने के निर्देश दिए। इसके साथ ही पिथौरागढ़ जैसे दुर्गम जिलों में अतिरिक्त हेलीकॉप्टर तैनात करने का आदेश भी दिया गया है। उन्होंने पिथौरागढ़ में हेलीपैड और एयरपोर्ट निर्माण की कार्यवाही को भी तेज करने पर बल दिया।
स्कूलों की हालत पर भी नजर, असुरक्षित भवनों में पढ़ाई पर रोक
मानसून के दौरान किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने जर्जर स्कूल भवनों की पहचान करने और उनमें बच्चों की पढ़ाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के निर्देश दिए। ऐसे स्थानों पर अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था की जाएगी ताकि विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
संवेदनशील स्थलों का निरीक्षण और जलाशयों की निगरानी
सीएम धामी ने अधिकारियों को आदेश दिए कि अगले तीन दिनों में सभी अस्पताल, स्कूल, आश्रम और भीड़भाड़ वाले स्थानों का सुरक्षा निरीक्षण किया जाए। इसके अलावा जलाशयों की नियमित निगरानी करते हुए उनमें समय-समय पर सिल्ट हटाने की कार्रवाई भी तेज करने को कहा गया है, ताकि जलभराव और बाढ़ जैसी स्थितियों से निपटा जा सके।
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राज्य स्तर से केंद्र तक बनी रणनीति
बैठक के बाद यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकुमार नेगी ने बताया कि राज्य सरकार अब तक पांच दौर की बैठकों में आपदा प्रबंधन को लेकर विस्तृत रणनीति तैयार कर चुकी है। जिला स्तर से लेकर केंद्र सरकार की एजेंसियों जैसे एयरफोर्स, आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ आदि सभी से समन्वय स्थापित कर लिया गया है।
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टीमें तैनात, राहत सामग्री का भंडारण पूरा
राज्यभर में एसडीआरएफ की 40 और एनडीआरएफ की 12 टीमों के साथ बाढ़ राहत के लिए विशेष टीमें भी पहले ही तैयार कर ली गई हैं। निचले क्षेत्रों जैसे उधम सिंह नगर, चंपावत, हल्द्वानी, हरिद्वार आदि में जल पुलिस को विशेष उपकरणों के साथ तैनात किया गया है।
उत्तराखंड में संभावित मानसून आपदाओं को देखते हुए सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने तैयारियों को काफी हद तक पूर्ण कर लिया है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में की गई यह समीक्षा बैठक आगामी संकटों से निपटने की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो सकती है। राज्य प्रशासन अब पूरी तरह अलर्ट मोड पर है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हर स्तर पर सक्रियता दिखाई जा रही है।
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