PM Modi to visit Cyprus: महज 13 लाख की आबादी वाले साइप्रस के लिए पीएम मोदी का दौरा क्यों अहम?
पीएम मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर पहुंच रहे हैं। वह 15-16 जून को साइप्रस में रहेंगे। साइप्रस का 1974 से ही तुर्की के साथ टकराव चल रहा है। तुर्की और साइप्रस के बीच दशकों पुराने क्षेत्रीय और राजनीतिक मुद्दे लगातार चर्चा में रहे हैं, ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा काफी अहम है।
PM Modi to visit Cyprus: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रविवार को तीन देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। अपनी यात्रा के दौरान वे कनाडा और सर्बिया के साथ-साथ साइप्रस भी जाएंगे। सबसे पहले पीएम मोदी महज 13 लाख की आबादी वाले छोटे से देश साइप्रस में उतरेंगे और वहां वे 2 दिन रुकेंगे। साइप्रस भले ही छोटा और कम चर्चित देश हो, लेकिन भारत की सामरिक दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है और पाकिस्तान के खास तुर्की का पड़ोसी भी है।
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब खाड़ी क्षेत्र में काफी तनाव है। साथ ही इस यात्रा के जरिए तुर्की को भी स्पष्ट संदेश देने की कोशिश है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद का खुलकर समर्थन करके नई दिल्ली को नाराज कर दिया था। तुर्की द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन पर भारत में काफी प्रतिक्रिया देखने को मिली। बड़ी संख्या में लोगों ने तुर्की के सामान के बहिष्कार का आह्वान करना शुरू कर दिया। भारत में कई संस्थाओं और व्यापारिक संगठनों ने तुर्की के साथ अपने समझौते तक रद्द कर दिए।
तुर्की और साइप्रस के रिश्तों पर नज़र डालें तो यहां भी काफ़ी तनाव है। 1974 से तुर्की के साथ तनाव रखने वाले साइप्रस ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का खुलकर साथ दिया था। इसके बाद साइप्रस ने घोषणा की थी कि वह पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को यूरोपीय संघ के स्तर पर उठाएगा। साइप्रस दौरे के बाद पीएम मोदी कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और फिर वह क्रोएशिया जाएंगे।
इंदिरा और वाजपेयी के बाद पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा की शुरुआत साइप्रस से कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी बयान के मुताबिक पिछले दो दशकों के लंबे इंतजार के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली साइप्रस यात्रा है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने क्रमश: वर्ष 1983 और 2002 में साइप्रस का दौरा किया था।
प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर आ रहे हैं। वे 15-16 जून को साइप्रस में रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस की राजधानी निकोसिया में राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस के साथ बैठक करेंगे और लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को भी संबोधित करेंगे।
जारी बयान में कहा गया है, “यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने तथा भूमध्य सागर क्षेत्र और यूरोपीय संघ के साथ भारत के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी।” साइप्रस में भारत के उच्चायुक्त मनीष ने कहा कि यह यात्रा, जो 2 दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है तथा प्रधानमंत्री मोदी की पहली यात्रा है, दोनों देशों की मित्रता में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी।
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साइप्रस यात्रा से पाकिस्तान और तुर्की को कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी अपनी साइप्रस यात्रा के ज़रिए पाकिस्तान और तुर्की को कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। क्रोएशिया की तरह साइप्रस भी यूरोपीय संघ का सदस्य है और 1974 से तुर्की के साथ उसका टकराव चल रहा है। तुर्की और साइप्रस के बीच दशकों पुराने क्षेत्रीय और राजनीतिक मुद्दे लगातार चर्चा में रहे हैं, लेकिन 1974 में तुर्की द्वारा देश के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण करने के बाद तनाव बढ़ गया, जिसके कारण देश दो हिस्सों में बंट गया।
वर्तमान में, दो तिहाई भूमि को ‘साइप्रस गणराज्य’ के रूप में मान्यता प्राप्त है और ग्रीक साइप्रस द्वारा शासित है और एक तिहाई भूमि पर स्वघोषित तुर्की गणराज्य उत्तरी साइप्रस का शासन है। इस क्षेत्र को केवल तुर्की द्वारा मान्यता प्राप्त है, हालांकि यह पहले यूरोपीय संघ का हिस्सा था।
खास बात यह है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस मुद्दे के समाधान का लगातार समर्थन किया है। इस यात्रा के माध्यम से, नई दिल्ली उन साझेदारों के साथ अपनी रणनीतिक रणनीति की रूपरेखा तैयार करती दिख रही है जो सीमा पार आतंकवाद को लेकर चिंतित रहे हैं।
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साइप्रस UNSC सीट और IMEC के पक्ष में
अगर भारत और साइप्रस की दोस्ती की बात करें तो यह बहुत पुरानी है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार साइप्रस यूएनएससी में स्थायी सीट के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में भारत की सदस्यता का लगातार समर्थक रहा है। इसके अलावा साइप्रस भारत-मध्य पूर्व यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) का भी हिस्सा है। आईएमईसी का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ना है। भारतीय दूत ने कहा कि नई दिल्ली ‘2047 तक विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए भारत-साइप्रस आर्थिक गलियारे के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।
साइप्रस अब अगले साल की पहली छमाही में यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता संभालने के लिए तैयार है। साइप्रस में भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि साइप्रस भारत के लिए यूरोपीय संघ का प्रवेश द्वार बनेगा। भारतीय राजदूत ने कहा कि दोनों देशों के शीर्ष नेता बैठक के दौरान वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग सहित अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
कनाडा भी जाएंगे पीएम मोदी
साइप्रस का दौरा करने के बाद पीएम मोदी कनाडा के लिए रवाना होंगे, जहां वे जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपने दौरे के अंतिम चरण में पीएम मोदी क्रोएशिया जाएंगे। क्रोएशियाई प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर पीएम मोदी 18 जून को इस यूरोपीय देश की आधिकारिक यात्रा करेंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा यूरोपीय संघ के साझेदारों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जबकि पीएम मोदी की निकोसिया और ज़ाग्रेब की यात्रा पूर्वी भूमध्य सागर में नई रणनीतिक रुचि और यूरोपीय संघ की उभरती पूर्वी सीमा में अपनी पैठ बढ़ाने के इरादे को दर्शाती है।
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