Maharashtra BJP: सांगली की राजनीति में बड़ा उलटफेर, वसंतदादा पाटिल परिवार का बड़ा हिस्सा बीजेपी में शामिल
महाराष्ट्र के सांगली जिले की राजनीति में उस समय बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब वसंतदादा पाटिल परिवार की सदस्य और सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की उपाध्यक्ष जयश्री पाटिल बीजेपी में शामिल हो गईं।
Maharashtra BJP: महाराष्ट्र के सांगली जिले की राजनीति में उस समय बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब वसंतदादा पाटिल परिवार की सदस्य और सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की उपाध्यक्ष जयश्री पाटिल बीजेपी में शामिल हो गईं। यह फैसला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सांगली की पारंपरिक राजनीति को प्रभावित करने वाला कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह परिवार अब तक कांग्रेस का मजबूत स्तंभ रहा है।
बीजेपी में शामिल हुईं जयश्री पाटिल
जयश्री पाटिल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय मदन पाटिल की पत्नी हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के चलते बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हाल ही में बीजेपी और एनसीपी दोनों दलों से उन्हें प्रस्ताव मिले थे, लेकिन उन्होंने बीजेपी का दामन थामने का निर्णय लिया।
जयश्री पाटिल बुधवार, 18 जून को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और मंत्री चंद्रकांत पाटिल की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुईं। इससे पहले चंद्रकांत पाटिल, सुधीर गाडगिल, सम्राट महाडिक सहित कई नेता उनके निवास पर पहुंचे थे और इस राजनीतिक बदलाव की नींव रखी गई थी।
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वसंतदादा पाटिल परिवार का प्रभाव
वसंतदादा पाटिल का नाम महाराष्ट्र की राजनीति में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। 1980 में इंदिरा गांधी के आग्रह पर उन्होंने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को सांगली में मजबूत किया था। इसके बाद उनके परिवार ने लगातार चुनावों में भाग लिया और जीत हासिल की।
शालिनीताई पाटिल, प्रकाश बापू पाटिल, मदन पाटिल, प्रतीक पाटिल और विशाल पाटिल जैसे नाम इस परिवार से जुड़े रहे हैं, जिन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
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हालिया राजनीतिक घटनाक्रम
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रतीक पाटिल को हार का सामना करना पड़ा। 2019 में कांग्रेस ने विशाल पाटिल को टिकट नहीं दिया और सीट शेतकरी संगठन को दे दी। नाराज होकर विशाल पाटिल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2024 में कांग्रेस को महागठबंधन से सांगली सीट नहीं मिली, जिससे नाराज विशाल पाटिल ने दोबारा बगावत की और इस बार निर्दलीय सांसद चुने गए।
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