China Trilateral Meeting 2025: क्या भारत के खिलाफ पक रही कोई ‘नई खिचड़ी’? चीन, बांग्लादेश और पाक की सीक्रेट मीटिंग!
पहली बार, चीन ने बांग्लादेश और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के साथ एक खास मीटिंग की मेजबानी की है। विदेश नीति के जानकार इसे भारत के लिए 'बहुत बड़ी बात' मान रहे हैं, क्योंकि इससे आने वाले समय में इलाके के हालात बदल सकते हैं।
China Trilateral Meeting 2025: एशिया की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है! चीन ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। पहली बार, चीन ने बांग्लादेश और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के साथ एक खास मीटिंग की मेजबानी की है। विदेश नीति के जानकार इसे भारत के लिए ‘बहुत बड़ी बात’ मान रहे हैं, क्योंकि इससे आने वाले समय में इलाके के हालात बदल सकते हैं।
पहली बार ऐसी मीटिंग, इरादे क्या हैं?
यह बैठक चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग शहर में हुई। इसमें चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदॉन्ग ने बांग्लादेश के कामचलाऊ विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी और पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच (जो वीडियो कॉल से जुड़ीं) के साथ मिलकर बात की। वैसे तो इस बैठक का मकसद व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा और समुद्र से जुड़े मामलों में सहयोग बढ़ाना बताया गया है। तीनों देशों ने कहा कि वे ‘अच्छे पड़ोसी, एक-दूसरे पर भरोसा, बराबरी, खुलापन, सबको साथ लेकर चलने और मिलकर तरक्की’ के सिद्धांतों पर आगे बढ़ेंगे।
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लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय के बयान में एक बात ऐसी कही गई, जिसने भारत को सोचने पर मजबूर कर दिया। बयान में कहा गया कि यह सहयोग किसी ‘तीसरे देश’ के खिलाफ नहीं है। लेकिन कई जानकार मानते हैं कि चीन का इशारा सीधा भारत की तरफ था, जैसे वह नई दिल्ली को कुछ बताना चाहता हो।
मीटिंग में किन बातों पर हुई चर्चा?
इस बड़ी मीटिंग में तीनों देशों ने आपसी विश्वास और अच्छे पड़ोसी वाले रिश्ते मजबूत करने पर जोर दिया। इसके अलावा, तय हुआ कि जो भी समझौते होंगे, उन्हें लागू करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा। हालांकि, मीटिंग में क्या-क्या समझौते हुए, इसकी पूरी जानकारी अभी नहीं आई है, लेकिन बातचीत में व्यापार, निवेश, खेती, डिजिटल कारोबार, समुद्री विज्ञान, पर्यावरण की सुरक्षा, शिक्षा और लोगों के बीच मेल-जोल जैसे कई अहम मुद्दे शामिल थे।
दक्षिण एशिया में बदल रहे हैं हालात
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दक्षिण एशिया की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। खास बात यह है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान ने 15 साल बाद इस साल अप्रैल में फिर से बड़े स्तर पर बातचीत शुरू की है। यह घटना भारत के लिए चिंता की बात है, खासकर तब जब बांग्लादेश में सरकार भी बदल गई है।
यूनुस का पाकिस्तान की तरफ झुकाव, भारत की मुश्किल
फिलहाल बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की कमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के हाथ में है। यूनुस की सरकार पाकिस्तान के प्रति नरम दिख रही है, जबकि पहले शेख हसीना के समय में पाकिस्तान से बांग्लादेश के रिश्ते खराब थे।
यूनुस ने शेख हसीना को भारत में शरण देने पर भारत की आलोचना भी की है और उन्हें वापस भेजने की मांग की है, जिस पर भारत ने अभी तक कुछ नहीं कहा है।
जानकारों का कहना है कि चीन इस मीटिंग के जरिए भारत को दक्षिण एशिया में घेरने की चाल चल रहा है। पाकिस्तान पहले से ही चीन का दोस्त है और अब बांग्लादेश को भी अपने साथ लेने की यह कोशिश भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती बन सकती है।
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