Heart Health: दिल की सेहत के लिए कौन सा तेल बेहतर, जैतून या सरसों का?
जैतून का तेल और सरसों का तेल दोनों ही दिल की सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं, लेकिन इनकी पोषणीय गुणवत्ता अलग-अलग होती है। जैतून का तेल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। वहीं सरसों के तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, लेकिन इसमें मौजूद एरुसिक एसिड के कारण इसे सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
Heart Health: हमारे दैनिक खानपान में खाना पकाने के तेल का उपयोग एक आवश्यक हिस्सा होता है, चाहे वह नाश्ता हो, दोपहर का भोजन या फिर रात का खाना। यह न केवल भोजन के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि पोषण प्रदान करने में भी सहायक होता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि तेल का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, विशेषकर दिल की सेहत के लिहाज से। इसलिए सही प्रकार के तेल का सीमित मात्रा में उपयोग करना बेहद जरूरी है।
तेल और हृदय स्वास्थ्य के बीच संबंध
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, खाना पकाने के तेल का सीधा संबंध दिल की सेहत से होता है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि कौन सा तेल हृदय के लिए अधिक फायदेमंद है। दो तेल—जैतून का तेल और सरसों का तेल—स्वस्थ विकल्पों के रूप में प्रमुख रूप से सामने आते हैं। दोनों में अलग-अलग पोषण गुण होते हैं जो दिल की देखभाल में सहायक हो सकते हैं। आइए दोनों तेलों का विश्लेषण करें।
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जैतून का तेल: पोषण और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर
जैतून का तेल विशेष रूप से मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, खासकर ओलिक एसिड से भरपूर होता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में सहायक है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोध में यह बात सामने आई है कि जैतून तेल से बनी डाइट से ब्लड फ्लो में हानिकारक वसा की मात्रा घटाई जा सकती है।
इसके अलावा, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक शोध में यह पाया गया कि जैतून तेल के सेवन से मोटापा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, और रक्त वाहिका तंत्र की समस्याएं जैसी हृदय संबंधी स्थितियों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में सूजन को कम करते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव से कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
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सरसों का तेल: पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प
यह तेल उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है और इसे पारंपरिक भोजन में खूब उपयोग किया जाता है। यह तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड (ALA) और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने, खून के थक्के बनने से रोकने और दिल की बीमारियों के जोखिम को घटाने में मदद करता है।
सरसों तेल में भी प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सूजन को कम करते हैं। भारत की लिपिड एसोसिएशन (LAI) ने सरसों के तेल को हृदय के लिए सुरक्षित और फायदेमंद माना है। हालांकि, इसमें एरुसिक एसिड नामक एक तत्व भी पाया जाता है, जो अत्यधिक सेवन की स्थिति में हृदय की सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
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विशेषज्ञों की राय: कौन है बेहतर?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मत है कि जैतून का तेल दिल की सेहत के लिए अधिक उपयुक्त है। इसकी वजह इसके उच्च मात्रा में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स हैं, जो हृदय रोगों के जोखिम को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं सरसों का तेल भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
जैतून और सरसों के तेल दोनों के अपने-अपने स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन हृदय रोग की रोकथाम के लिए जैतून का तेल अधिक प्रभावशाली माना जाता है। हालांकि, किसी भी तेल का अत्यधिक उपयोग नुकसानदेह हो सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में और संतुलित आहार के साथ ही तेल का सेवन करना सबसे उपयुक्त रहेगा। दिल की सेहत बनाए रखने के लिए सही जीवनशैली और पोषणयुक्त खानपान बेहद आवश्यक है।
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