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ThailandPolitics: थाईलैंड में राजनीतिक संकट! प्रधानमंत्री पैतोंग्तार्न शिनावात्रा पद से निलंबित.

ThaksinShinawatra: बैंकॉक — थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पैतोंग्तार्न शिनावात्रा को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई 36 सासंदों द्वारा दाखिल एक याचिका पर की गई, जिसमें उन पर अनैतिक आचरण और संवैधानिक उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए थे।

क्या है मामला?

याचिका के अनुसार, 38 वर्षीय पैतोंग्तार्न ने 15 जून को कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन से फोन पर बातचीत के दौरान एक थाई सेना कमांडर की आलोचना की थी। यह बातचीत लीक हो गई, जिससे देश के अंदर भारी नाराजगी फैली। सेना को थाईलैंड की राजनीति में बेहद ताकतवर माना जाता है और किसी भी सैन्य अधिकारी पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना ‘लाल रेखा’ पार करने जैसा है।

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अदालत का फैसला

संवैधानिक अदालत ने कहा:

याचिका पर विचार किया गया है और सर्वसम्मति से इसे स्वीकार किया गया है। प्रधानमंत्री को अस्थायी रूप से उनके कर्तव्यों से मुक्त किया जाता है।”

अब उप-प्रधानमंत्री सुरिया जुआंगरुआंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है, जो सरकार का संचालन तब तक करेंगे जब तक मामला लंबित रहेगा।

राजनीतिक संकट गहराया

इस फैसले से पहले ही पैतोंग्तार्न की सरकार मुश्किलों में थी। उनकी गठबंधन सरकार बहुत ही मामूली बहुमत पर टिकी हुई है। एक अहम सहयोगी पार्टी गठबंधन से हट चुकी है और जल्द ही संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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लोकप्रियता में भारी गिरावट

हाल ही में आए एक जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक मार्च 2025 में पैतोंग्तार्न की लोकप्रियता 30.9% थी, जो जून के आखिरी सप्ताह में गिरकर सिर्फ 9.2% रह गई है।

पारिवारिक मोर्चे पर भी संकट

पैतोंग्तार्न के पिता और थाई राजनीति की चर्चित शख्सियत थक्सिन शिनावात्रा पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। 75 वर्षीय थक्सिन पर राजशाही की अवमानना (लेजे-मैजेस्टी) का आरोप है, जिसके तहत 15 साल तक की सज़ा हो सकती है। वह 2023 में 15 साल के निर्वासन के बाद थाईलैंड लौटे थे और छह महीने अस्पताल में ‘नजरबंद’ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट इस महीने उनकी सज़ा पर दोबारा विचार करेगा।

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यह मामला क्यों है अहम?

  • थाईलैंड में शिनावात्रा परिवार लंबे समय से राजनीति पर छाया हुआ है।
  • सेना और न्यायपालिका पहले भी इस परिवार की सरकारों को गिरा चुकी हैं।
  • यह संकट केवल पैतोंग्तार्न की सरकार का ही नहीं, बल्कि पूरे थाई लोकतंत्र की स्थिरता की परीक्षा बन गया है।

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International Desk

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