Kanwar Mela 2025: सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर SDRF की विशेष तैयारी, अत्याधुनिक उपकरणों के साथ तैनात होंगी टीमें
हरिद्वार में 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर SDRF ने सुरक्षा तैयारियां तेज कर दी हैं। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस टीमें गंगा के संवेदनशील घाटों पर तैनात रहेंगी। श्रद्धालुओं से सुरक्षा नियमों का पालन करने और सतर्क रहने की अपील की गई है।
Kanwar Mela 2025: सावन मास की शुरुआत के साथ ही 11 जुलाई से देशभर में शिवभक्तों की आस्था का महापर्व कांवड़ यात्रा आरंभ हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लाखों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार पहुंचकर गंगा जल लेने के बाद अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना होंगे। हरिद्वार में उमड़ने वाली इस आस्था की भीड़ को सुचारू और सुरक्षित ढंग से संचालित करने के लिए पुलिस प्रशासन, आपदा प्रबंधन बल और विशेष रूप से एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) ने युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
हरिद्वार में विशेष सुरक्षा व्यवस्था, SDRF की बड़ी भूमिका
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान सबसे बड़ी चुनौती श्रद्धालुओं की सुरक्षा और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटना होता है। ऐसे में SDRF की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। विशेष बातचीत में एसडीआरएफ कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने बताया कि इस बार सुरक्षा तैयारियों में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।
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उन्होंने बताया कि उनकी टीमें इस बार अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होंगी। इनमें अंडरवॉटर सोनार सिस्टम, अंडरवॉटर ड्रोन और थ्रोबैग जैसे उपकरण शामिल हैं, जिनकी सहायता से जल में डूबते हुए व्यक्तियों को तुरंत खोजा और बचाया जा सकेगा।
हरिद्वार के 6 प्रमुख स्थानों पर होगी SDRF की तैनाती
पिछले वर्षों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार SDRF की टीमें हरिद्वार के छह महत्वपूर्ण घाटों और जल क्षेत्रों पर तैनात की जा रही हैं। इन स्थानों को डेंजर प्वाइंट्स के रूप में चिन्हित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
कांगड़ा घाट (पश्चिमी किनारा)
कांगड़ा घाट (पूर्वी किनारा)
बैरागी कैंप के पास आयरिस पुल
इन क्षेत्रों में हर साल श्रद्धालुओं द्वारा रेलिंग पार कर गहरे पानी में जाने की घटनाएं सामने आती हैं। ऐसे में SDRF की तैनाती डूबने की घटनाओं को रोकने में अहम भूमिका निभाती है।
2024 में हुई घटनाएं और SDRF की सक्रियता
कांवड़ मेला 2024 के दौरान डूबने की कुल 221 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिनमें SDRF ने 214 लोगों को समय रहते बचा लिया। हालांकि, 5 लोगों की डूबने से मौत हो गई थी, जबकि 2 श्रद्धालु अब तक लापता हैं।
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इसके अलावा, यात्रा के दौरान विभिन्न दुर्घटनाओं में 68 श्रद्धालु घायल हुए और 10 लोगों की जान चली गई। वहीं, मेला अवधि में 779 लोग अपने परिवार से बिछड़ गए थे, जिनमें से अधिकांश को पुनः मिलवाया गया। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर उच्च स्तर की तैयारी की आवश्यकता होती है।
कांवड़ियों से भी सतर्क रहने की अपील
एसडीआरएफ कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने कांवड़ियों से अपील की कि वे गंगा में स्नान करते समय रेलिंग पार न करें और सुरक्षा निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। उन्होंने कहा कि श्रद्धा के साथ-साथ सुरक्षा भी जरूरी है और भीड़ में अनुशासन बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।
उन्होंने बताया कि SDRF की टीमें न केवल जल सुरक्षा पर ध्यान देंगी, बल्कि भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन चिकित्सा सहायता और सूचना सहायता में भी प्रशासन की मदद करेंगी।
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प्रशासनिक तैयारियों का ग्राउंड ज़ीरो पर मूल्यांकन
जब हरिद्वार में ग्राउंड ज़ीरो से तैयारियों का जायज़ा लिया, तो साफ नजर आया कि इस बार प्रशासन पहले से अधिक मुस्तैद है। पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और अन्य विभागों के सहयोग से संपूर्ण व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं के ठहरने, चिकित्सा सुविधा, पेयजल, ट्रैफिक कंट्रोल और साफ-सफाई के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। CCTV कैमरों और ड्रोन की मदद से हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी।
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा एक धार्मिक ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक चुनौती भी होती है। लेकिन SDRF की सक्रियता और तकनीकी सशक्तिकरण से इस बार की कांवड़ यात्रा अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित होने की उम्मीद है। श्रद्धालुओं की आस्था और प्रशासन की तत्परता का यह समन्वय एक सफल और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करेगा।
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