Infrastructure Development: उत्तराखंड में पुलों की ताकत बढ़ेगी, 300 से अधिक पुल होंगे अपग्रेड, सामरिक दृष्टि से भी अहम फैसला
उत्तराखंड में 2000 से अधिक छोटे-बड़े पुल हैं जिनमें से कई पुल देश की आजादी के समय के हैं। इन पुलों पर तब से ही वाहनों का लगातार आवागमन हो रहा है। अब धामी सरकार की 300 से अधिक पुलों की भार क्षमता बढ़ाने की योजना है। इन पुलों को बी श्रेणी से ए श्रेणी में लाया जाएगा। इसके तहत इनकी चौड़ाई बढ़ाते हुए इन्हें और अधिक मजबूत किया जाएगा।
Infrastructure Development: उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने प्रदेश के पुलों की भार क्षमता बढ़ाने की दिशा में व्यापक योजना तैयार की है। इसी के तहत अब बी श्रेणी के 300 से अधिक पुलों को ए श्रेणी में अपग्रेड किया जाएगा ताकि ये पुल भारी मशीनरी और वाहनों का भार सहन कर सकें। यह कदम न केवल राज्य के विकास कार्यों के लिए अहम है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन
9 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लोक निर्माण विभाग (PWD) की ओर से एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा गया, जिसमें पुलों की भार क्षमता बढ़ाने के लिए ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट’ (PMU) गठित करने की सिफारिश की गई थी। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस यूनिट में 49 पदों को मंजूरी दी गई है और इसके प्रमुख के रूप में पीडब्लूडी सचिव या किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है।
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यह यूनिट राज्य भर के पुलों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि अपग्रेडेशन का कार्य समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा हो। साथ ही यूनिट, परियोजना की निगरानी और निष्पादन की ज़िम्मेदारी भी उठाएगी।
बी से ए कैटेगरी में होंगे पुल अपग्रेड
सरकार द्वारा चिन्हित किए गए 300 से ज्यादा बी श्रेणी के पुलों को ए श्रेणी में बदला जाएगा। बी श्रेणी के पुलों की भार क्षमता लगभग 50 से 55 टन होती है, जबकि ए श्रेणी के पुल 70 टन तक का भार सहन करने में सक्षम होते हैं। इस अपग्रेड से न केवल सामान्य यातायात में सुधार होगा, बल्कि भारी औद्योगिक सामग्री और सैन्य वाहनों की निर्बाध आवाजाही भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
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सामरिक दृष्टिकोण से बड़ा फायदा
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह निर्णय बेहद सामरिक महत्व रखता है। राज्य की सीमाएं चीन और नेपाल जैसे देशों से सटी हुई हैं। ऐसे में पुलों की भार क्षमता में वृद्धि से सेना के भारी वाहनों और उपकरणों की आवाजाही में आसानी होगी। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को बल देगा, बल्कि आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्यों को भी गति मिलेगी।
2000 से अधिक पुल, 1640 करोड़ की परियोजना
उत्तराखंड में वर्तमान में करीब 2,000 छोटे-बड़े पुल हैं। इनमें से 300 से ज्यादा पुल बी श्रेणी के हैं जिन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता है। इस परियोजना के लिए कुल लागत 1640 करोड़ रुपये आंकी गई है। खास बात यह है कि इस परियोजना का 80% वित्त पोषण एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) करेगा, जबकि 20% खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
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इंफ्रास्ट्रक्चर को मिलेगा नया आयाम
यह निर्णय न केवल पुलों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगा, बल्कि राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी एक नई मजबूती देगा। इससे औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा और क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में यह पहल अहम साबित होगी।
उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल वर्तमान समस्याओं के समाधान की दिशा में है, बल्कि भविष्य के लिए राज्य को तैयार करने का भी प्रयास है। पुलों की क्षमता में वृद्धि से जहां लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी, वहीं यह प्रदेश को आपदा प्रबंधन और सैन्य रणनीति के क्षेत्र में भी अधिक सक्षम बनाएगा।
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