Nanda Devi Raj Jat Yatra: नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 की तैयारियां तेज़, मुख्यमंत्री धामी ने की चौथी समीक्षा बैठक
उत्तराखंड सरकार ने 2026 में होने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों को लेकर योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में अब तक चार समीक्षात्मक बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें सुरक्षा, चिकित्सा और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर जोर दिया गया है। यात्रा को भव्य, सुरक्षित और ऐतिहासिक बनाने के लिए स्थानीय सहभागिता और पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
Nanda Devi Raj Jat Yatra: उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा के आयोजन को लेकर तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। साल 2026 में प्रस्तावित इस भव्य यात्रा के लिए राज्य सरकार ने अब से ही योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस यात्रा को लेकर गंभीर हैं और अब तक इस विषय पर चार उच्च स्तरीय बैठकें कर चुके हैं। हाल ही में सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में यात्रा से जुड़े सभी पहलुओं की गहराई से समीक्षा की गई।
सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा मार्ग होंगे प्राथमिकता में
बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि यात्रा मार्गों की मरम्मत समयबद्ध तरीके से की जाए। जिन स्थानों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलिंग जरूरी है, वहां इसे प्राथमिकता के आधार पर स्थापित किया जाए। इसके अतिरिक्त, सभी प्रमुख पड़ावों पर प्राथमिक उपचार केंद्र, एंबुलेंस सेवा और टेलीमेडिसिन की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई।
सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा हजारों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी होती है, इसलिए यात्रा मार्ग और सुविधाएं हर दृष्टिकोण से सुरक्षित और सुव्यवस्थित होनी चाहिए। उन्होंने विभागों को आपसी समन्वय से कार्य योजना तैयार करने के निर्देश भी दिए।
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स्थानीय संस्कृति और कलाकारों को मिलेगा मंच
यात्रा को केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित न रखते हुए मुख्यमंत्री ने इसमें सांस्कृतिक रंग भरने की बात कही। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान स्थानीय कलाकारों, ग्राम पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। पारंपरिक लोक कला, संगीत और नृत्य को बढ़ावा देने के लिए यात्रा मार्ग में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा, जिससे न केवल श्रद्धालु आनंदित होंगे, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर भी जीवंत बनी रहेगी।
सभी विभागों को तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि यात्रा से संबंधित सभी तैयारियों को वर्ष 2025 के अंत तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि सभी विभाग अपने-अपने कार्यों की जिम्मेदारी को गंभीरता से लें और यात्रा को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बनाने के लिए एकजुट होकर काम करें।
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सुझावों के आधार पर तैयार की जा रही कार्य योजना
सीएम धामी ने जानकारी दी कि नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारी के लिए जनप्रतिनिधियों, स्थानीय निवासियों और विषय से जुड़े विशेषज्ञों से विस्तृत विचार-विमर्श किया गया है। उनके सुझावों के आधार पर योजनाएं बनाई जा रही हैं और कुछ प्रस्तावों पर जल्द ही अमल भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यात्रा सभी के सहयोग से अत्यंत सफल और ऐतिहासिक रूप लेगी।
राजजात और लोकजात यात्रा में अंतर को समझें
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि नंदा देवी की दो प्रमुख यात्राएं होती हैं – एक नंदा देवी लोकजात यात्रा, जो हर साल होती है और दूसरी नंदा देवी राजजात यात्रा, जो 12 वर्षों के अंतराल पर संपन्न होती है। राजजात यात्रा की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता अत्यधिक होती है।
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इस यात्रा में चौसिंगा खाडू (चार सींगों वाला विशेष भेड़) एक विशेष भूमिका निभाता है। यह यात्रा कुरुड़ गांव से प्रारंभ होती है, जिसे मां नंदा का मायका माना जाता है। कठिन हिमालयी मार्गों से गुजरते हुए यह यात्रा कई दिनों तक चलती है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
उत्तराखंड की आध्यात्मिक विरासत को मिलेगा नया आयाम
राज्य सरकार की ओर से की जा रही योजनाबद्ध तैयारियों और मुख्यमंत्री की विशेष रुचि यह संकेत देती है कि वर्ष 2026 की नंदा देवी राजजात यात्रा को अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बनाया जाएगा। इस आयोजन से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड की पारंपरिक विरासत को भी वैश्विक पहचान मिलेगी।
यह यात्रा राज्य की सांस्कृतिक आत्मा को सशक्त करने के साथ ही, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगी। सरकार का उद्देश्य है कि श्रद्धालु यहां से आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ उत्तराखंडी संस्कृति की जीवंत झलक भी लेकर जाएं।
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