Panipat News: एक ने ई-रिक्शा में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, तो दूसरी का अस्पताल के गेट पर हुआ प्रसव
पानीपत के जिला नागरिक अस्पताल में रविवार को दो गर्भवती महिलाओं ने अस्पताल पहुंचने से पहले या गेट पर ही बच्चों को जन्म दिया। इन घटनाओं ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं और जनजागरूकता की कमी को उजागर किया है। बीते 15 दिनों में ऐसी आठ घटनाएं सामने आई हैं, जहां गर्भवतियों ने अस्पताल के गेट या रास्ते में ही प्रसव किया।
Panipat News: पानीपत के जिला नागरिक अस्पताल में रविवार को दो गर्भवती महिलाओं ने अस्पताल पहुंचने से पहले या गेट पर ही बच्चों को जन्म दिया। इन घटनाओं ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं और जनजागरूकता की कमी को उजागर किया है। बीते 15 दिनों में ऐसी आठ घटनाएं सामने आई हैं, जहां गर्भवतियों ने अस्पताल के गेट या रास्ते में ही प्रसव किया।
ई-रिक्शा में महिला ने दिया बच्चे को जन्म
रविवार सुबह एक गर्भवती महिला को जब अस्पताल लाया जा रहा था, तब रास्ते में उसकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई। ई-रिक्शा चालक ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए वाहन को सीधे इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचाया। चालक ने जैसे ही डॉक्टरों को आवाज दी, नर्सिंग ऑफिसर तुरंत मौके पर पहुंची और रिक्शा के चारों ओर चादर लगाकर सुरक्षित डिलीवरी कराई। इसके बाद जच्चा-बच्चा को प्रसूति वार्ड में भर्ती किया गया। हालांकि, बच्चे की हालत गंभीर बताई जा रही है।
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अस्पताल के गेट पर हुआ प्रसव
एक अन्य मामला उसी दिन का है, जब जैन चौक निवासी 26 वर्षीय सरिता को उसके पति मुकेश ई-रिक्शा से अस्पताल लेकर आ रहे थे। रास्ते में सेक्टर-छह की रेलवे फाटक बंद थी, जिससे उन्हें 15 मिनट की देरी हो गई। जब तक वह अस्पताल पहुंचे, बच्चा आधा बाहर आ चुका था। ई-रिक्शा चालक ने इमरजेंसी में पहुंचकर मदद मांगी, जिसके बाद डॉक्टरों की देखरेख में सुरक्षित प्रसव कराया गया। सरिता और बच्चा दोनों को डॉ. शशिलता और डॉ. आरती की निगरानी में भर्ती किया गया है।
शनिवार को भी हुआ ऐसा ही एक प्रसव
शनिवार देर शाम को भी जैन चौक निवासी एक गर्भवती महिला को ऑटो में ही प्रसव हुआ। सेक्टर छह की रेलवे फाटक फिर से बंद थी और समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण महिला को ऑटो में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। इन दोनों मामलों में भी महिला और नवजात का इलाज प्रसूति वार्ड में चल रहा है।
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समस्या का मूल कारण: जागरूकता की कमी
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इन मामलों के पीछे मुख्य कारण स्वजनों की लापरवाही और डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज करना है। डॉक्टर लगातार स्वास्थ्य केंद्रों में शिविर लगाकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. विजय मलिक ने कहा, “डिलीवरी से करीब 24 घंटे पहले अस्पताल में पहुंचना जरूरी है, ताकि समय रहते चिकित्सा सहायता मिल सके और जोखिम से बचा जा सके।”
सिविल सर्जन डॉ. विजय मलिक ने डॉक्टरों से दोनों मामलों की रिपोर्ट मांगी है और उनके अध्ययन के निर्देश दिए हैं।
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