Jhalawar School Accident: झालावाड़ स्कूल हादसा पर शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन, महिला प्रिंसिपल सहित चार शिक्षक निलंबित
राजस्थान के झालावाड़ जिले में हुए स्कूल हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने बड़ा एक्शन लिया है। विभाग ने महिला प्रिंसिपल सहित चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। यह हादसा स्कूल में बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही के कारण हुआ था।
Jhalawar School Accident: राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल में दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। स्कूल की छत और दीवार गिरने से सात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 27 बच्चे घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब स्कूल में पढ़ाई चल रही थी। हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है, और अब शिक्षा विभाग ने इस मामले में कड़ा एक्शन लेते हुए महिला प्रिंसिपल समेत चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस स्कूल की हालत लंबे समय से खराब थी और प्रशासन को इसकी जानकारी भी दी गई थी, लेकिन फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। हादसे के बाद अब शिक्षा विभाग की कार्यशैली और स्कूल प्रशासन की लापरवाही पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
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हादसे के बाद शिक्षा विभाग की कार्रवाई
पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल में हुए इस हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से स्कूल की महिला प्रिंसिपल, तीन शिक्षक और एक प्रबोधक शिक्षक को निलंबित कर दिया है। वहीं, पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच के बाद यह स्पष्ट किया जाएगा कि इस भयावह त्रासदी के लिए असल जिम्मेदार कौन है।
पहले से था स्कूल की हालत का अंदेशा
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की हालत लंबे समय से जर्जर थी। कई बार स्कूल की छत से पत्थर गिरने की घटनाएं हो चुकी थीं। इसको लेकर स्कूल प्रशासन, सरपंच और अन्य अधिकारियों को शिकायतें दी गई थीं, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। साल 2023 में इसी स्कूल ने डांग क्षेत्र विकास योजना के तहत मरम्मत के लिए 1.80 लाख रुपये की राशि उठाई थी, लेकिन जमीन पर कोई काम नजर नहीं आया। अगर यह राशि सही ढंग से उपयोग की जाती, तो शायद आज यह हादसा नहीं होता।
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हादसे से पहले भी मिली थी चेतावनी
एक छात्र के अनुसार, हादसे से कुछ मिनट पहले ही कुछ बच्चों ने शिक्षक को बताया था कि छत से कंकड़-पत्थर गिर रहे हैं। लेकिन शिक्षक ने उस बात को गंभीरता से नहीं लिया और नाश्ता छोड़कर स्थिति देखने की जहमत नहीं उठाई। उल्टा छात्रों को डांटकर क्लास में भेज दिया गया। कुछ ही मिनटों बाद छत गिर गई और स्कूल में चीख-पुकार मच गई।
प्रशासनिक सुस्ती बनी मासूमों की मौत की वजह
इस दर्दनाक हादसे ने यह साफ कर दिया है कि शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन की लापरवाही ने मासूम बच्चों की जान ले ली। यदि समय रहते हालात को समझा गया होता, चेतावनियों को गंभीरता से लिया गया होता और मरम्मत का काम समय पर हुआ होता, तो आज सात मासूम जिंदगियां बच सकती थी।
आगे क्या होगा?
फिलहाल शिक्षा विभाग ने दोषियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन अब यह जरूरी है कि इस हादसे से सबक लिया जाए और राज्य के अन्य स्कूलों की भी तत्काल जांच की जाए, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल सिर्फ नाम के न हों, बल्कि वहां पढ़ने वाले बच्चे सुरक्षित भी रहें।
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