कभी अपराध की दुनिया में पैसा कमाना चाहता था, अब किन्नर की ढोलक बजाने को हुआ मजबूर!
नोएडा: एक पुरानी कहावत है कि बुरे काम का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है। वैसे भी जरायम की दुनिया में बड़ा नाम रखने वाले अपराधियों के पास कितनी भी दौलत और बाहुबल हो, लेकिन वे भी हर पल मौत के साये में जीते हैं। ऐसे गैंगस्टर, माफिया, डॉन खुद को कितने ही ताकतवर समझते हों, लेकिन पुलिस की एक गोली से उनका सब कुछ खत्म होते देर नहीं लगती। आपराधिक सरगना की मौत के बाद उसके पाले हुए गुर्गों का क्या हाल हो जाता है, इसका जीता जागता उदाहरण अरबाज है।
अरबाज जो कभी जरायम की दुनिया में पैसा कमाना चाहता था। वह कभी पिस्टल-माउजर चलाने का बेहद शौकीन था और अपने गैंग के मुखिया यानी आका अवनीश उर्फ बिल्लू दुजाना के जरा से इशारे पर बड़े-बड़े लोगों से रंगदारी वसूलने, मारपीट करने, गोली चलाकर डराने और किसी की जान लेने में जरा सी भी हिचक महसूस नहीं करता था, वह अब एक किन्नर की शरण में है और समाज में बधाई मांगने के समय बजाया जाने वाली ढोलक बजाने का काम करने को मजबूर हुआ है।
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गौतमबुद्धनगर के थाना बादलपुर के गांव दुजाना का रहने वाला कुख्यात गैंगस्टर बिल्लू दुजाना की एक समय में अपराध की दुनिया में तूती बोलती थी और उसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों, दिल्ली, हरियाणा में उद्यमियों और आम जनता में भारी खौफ़ था। पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर बिल्लू दुजाना पर एक लाख रुपये का ईनाम था। दुजाना हाल ही में गाजियाबाद पुलिस के हाथों मुठभेड़ में अपने पचास हजार के ईनामी राकेश के मारा गया था।
नोएडा के एसीपी सेंट्रल जोन रणविजय सिंह का कहना कि उसके गैंग के साथियों अमित, सुमित और अरबाज को आभास हो गया था कि जल्द ही बिल्लू को पुलिस के हाथों मारा जा सकता था, इसलिए वे उससे किनारा करने लगे थे। यही वजह है कि अरबाज ने अपराध की दुनिया से दूरी बनाते हुए एक किन्नर के साथ रहकर ढोलक बजाने का काम करने लगा था, ताकि अपना जीवन यापन कर सके, जबकि अमित और सुमित भी शादी-विवाह और दूसरी खुशियों के मौके पर डीजे बजाने का काम करने लगे हैं, लेकिन अब पुलिस उनकी आपराधिक वारदातों की कुंडली खोजकर उनके किये की सजा दिलाने के कार्य मे जुट गयी है।