NCP MP Supriya Sule: शरद पवार की राजनीति को भला कौन डिकोड कर पायेगा? पिछले तीन महीने से एनसीपी के भीतर तरह-तरह के खेल जारी है। पार्टी से कई विधायक अलग हो गए । शरद पवार के भतीजे अजित पवार कई नेताओं और विधायकों को लेकर शिंदे सरकार में शामिल भी हो गए। अजित पवार ने शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा भी कर दी। पार्टी पर दोनों गुटों ने दावा भी किया। शरद पवार ने अपनी तस्वीर का प्रयोग करने से अजित पवार को चेताया भी। फिर भी शरद पवार और अजित पवार एक हैं। एनसीपी एक है। चाचा-भतीजा में कोई अलगाव नहीं। पार्टी में कोई बगावत नहीं। आधी पार्टी बीजेपी के साथ और आधी पार्टी विपक्ष के साथ ! भारत की राजनीति का यह सच आज से पहले कभी नहीं दिखा था। मजे की बात तो यह भी है कि एनसीपी के दोनों गुट के लोग अलग भी हैं और एक दूसरे के साथ भी हैं। सब आपस में मिलते भी है। कोई किसी के खिलाफ बोलता भी नहीं है। और सबसे चौंकाने की बात तो यह है कि शरद पवार विपक्षी बैठक का आयोजन भी मुंबई में कर रहे हैं। और इसी बीच शरद पवार की बेटी और पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले (Supriya Sule) कहती है कि पार्टी में कोई बगावत नहीं है। अजित पवार पार्टी के सीनियर नेता हैं। आखिर वे कहना क्या चाहती है?
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सुप्रिया सुले (Supriya Sule) के बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से बवाल मचा हुआ है। सुले ने कहा कि एनसीपी में कोई बगावत नहीं है। अजित पवार ने पार्टी रुख से केवल अलग अपना स्टैंड लिया है। लेकिन अजित पवार आज भी पार्टी के सीनियर नेता है और शरद पवार पार्टी के अध्यक्ष हैं। सुले ने जयंत पाटिल को महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष बताकर अजित पवार के दावे को भी नकार दिया है। सुले ने यह बयान पुणे में दिया है। इस बयान के आने के बाद तरह -तरह की बातें कही जा रही है। इस बयान पर न महाआघाडी के नेता अभी तक कुछ कहे हैं और न ही बीजेपी और शिंदे गुट की तरफ से ही कोई बयान आया है।
सुले (Supriya Sule) एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पुणे पहुंची थी। वहां मीडिया से बातचीत करते हुए सुले ने कहा कि एनसीपी में कोई टूट नहीं हुई है और आज भी अजित पवार एनसीएपी के नेता हैं। उन्होंने या भी कहा कीअजित पवार एनसीपी के बड़े नेता हैं उनके साथ कुछ नेताओं ने केवल अपना स्टैंड बदला है और इसकी शिकायत स्पीकर से की जा चकी है।
अब सुले (Supriya Sule) के इस बयान की क्या मायने हैं इसे कोई समझ नहीं पा रहा है। उनके बयान से यह लगता है कि पार्टी में कोई टूट ही। इसका मतलब है कि जहाँ अजित पवार हैं वही शरद पवार भी और सुले भी। सुले के बयान का यह भी मतलब निकलता है कि एनसीएपी के भीतर जो होता दिख रहा है सब एक भ्रम है। क्योंकि अजित पवार ने बगावत भी नहीं की है और वे बीजेपी के साथ सरकार चला भी रहे हैं और शरद पवार बाहर रहकर बीजेपी पर निशाना भी साध रहे हैं। पवार परिवार के इस खेल को कोई समझ नहीं पा रहा है। ऐसे में कई जानकार तो यह मान रहे हैं कि शरद पवार स्थिति को भांप रहे हैं। वे देख रहे हैं कि आने वाली राजनीति किधर जाती है। और यह सब 2024 तक ऐसे ही चलती रहेगी। अगर 2024 के चुनाव में बीजेपी की जीत फिर से होती है तो एनसीपी सरकार के साथ चली जाएगी। इस सरकार में एनसीपी के बाकी नेता भी चले जायेंगे। हो सकता है कि शरद पवार अजित पवार एनसीपी में नहीं जाए लेकिन उनकी पुत्री सुले तो अजित पवार के साथ चली ही जा सकती है।
और अगर बीजेपी की हार होती है ,विपक्षी गठबंधन की जीत होती है तो अजित पवार का गुट भी शरद पवार के साथ आ मिल सकता है। इस पुरे खेल में चुनाव के दौरान सीटों का बँटवारा और अहम् हो सकता है। अजित गुट के लोगों को बीजेपी और शिंदे गट के लोग कितना वोट दाल पाएंगे यह कोई नहीं जानता। यही हाल दूसरी सत्तारूढ़ पार्टियों के साथ भी है। अजित गुट के लोग बीजेपी और शिंदे गुट को वोट देते हैं की नहीं यह भी देखने की बात होगी। लेकिन एक बात तय है कि जो लग अभी शरद पवार के साथ हैं वे शरद गुट को वोट जरूर करेंगे। लगता है शरद पवार जानबूझ कर यह सब कर रहे हों और समय -समय पर इस ड्रामे की खबर बनती रहे ,उसे मीडिया में विभिन्न माध्यमों से उछालते रहे हैं।