वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमिश्नर सर्वे के दौरान मिले आदि विश्वेवर पूजा करने की अनुमति न मिलने के बावजूद 108 घंटे बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को अपना आमरण अनशन खत्म करना पड़ा। चार जून से 8 जून सुबह सात बजे तक निर्जल अनशन पर बैठे अविमुक्तेश्वरानंद के चिकित्सीय परीक्षण में उनका वजन पांच किलो चार सौ ग्राम कम हो गया था।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दो जून को घोषणा की थी कि वे चार जून से आदि विश्वेवर पूजा करने की अनुमति तक अनशन पर बैठेंगे। इसके लिए जगदगुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती, ज्योतिपीठ एवं शारदापीठ, द्वारका, गुजरात ने अनुमति भी दी थी, लेकिन अब जगदगुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को आमरण अनशन खत्म आदेश दिया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 4 जून को वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में अर्जी देकर ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमिश्नर सर्वे के दौरान मिले आदि विश्वेवर की पूजा करने की अनुमति मांगी थी। इस अर्जी में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन अदालत ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
ये भी पढे़ं-उत्तर प्रदेश शासन ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानन्द गिरी को कार्यक्रम निरस्त ना करने पर कार्यवाही की धमकी दी
उधर आज अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उन्होने गुरु आज्ञा पर अपना अनशन समाप्त किया है, न कि जिला प्रशासन अथवा किसी अन्य के दबाव में। वे अपने गुरु जगदगुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती की आज्ञा से ही अब आदि विश्वेवर बाबा का भव्य मंदिर निर्माण के लिए देश व्यापी अभियान चलायेंगे और सनातन धर्म के लोगों को इस पुनीत कार्य से जोड़ने का काम करेंगे।