Rajasthan Election: यह बात और है कि समय के साथ राजनीति बदल जाती है और उस राजनीति के चेहरे भी बदल जाते हैं। जब चेहरे बदलते और राजनीति बदलती है तब माहौल भी बदलता है। बीजेपी को ही ले लीजिये। अटल और आडवाणी की बीजेपी की तुलना आज से नहीं की जा सकती। न कोई अटल है और न ही को आडवाणी। लेकिन बीजेपी आज भी है। बीजेपी पहली बार भले ही नहीं है लेकिन बीजेपी दौड़ती नजर आ रही है। अटल और आडवाणी वाली बीजेपी में नैतिकता की पुट थी लेकिन आज ऐसा नहीं है। अगर सभी राजनीतिक पार्टियां अनैतिक है तो बीजेपी उसमे सबसे आगे है। बीजेपी की सरकार पर अभी भले ही कोई बड़े घोटाले के आरोप नहीं लगे हों। इसके पीछे की वजह देश की जनता भी जानती है। जनता यह भी जानती है कि जब सत्ता बदलेगी तो बीजेपी और बीजेपी के नेता की कलई खुल जाएगी। राजनीति में भ्रष्टाचार को भला कौन रोक सकता है? कोई भी पार्टी हो उसमें अधिकतर नेता कमी करने ही आते हैं। भूत काल में भी वही हो रहा था। आज भी वही हो रहा है और कल भी वही होगा।
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कांग्रेस को ही ले लीजिये। यहां भी तो लूटतंत्र ही चलता रहा। वर्षों बरस तक कांग्रेसियों ने देश को लूटा। भ्रष्टचार किये। घोटाले किये। अपने परिवार को आबाद किया और फिर पार्टी से निकलकर दूसरी पार्टी में चले गए। अगर आप शोध करेंगे तो पाएंगे कि देश की राजनीति करने वाली अभी जितनी पार्टियां हैं उनमें से सबसे ज्यादा पार्टियों में कांग्रेस के लोग ही शामिल है। बीजेपी हो या कोई भी पार्टी। जिसने पहले कांग्रेस को लूटा, बर्बाद किया वह आज बीजेपी समेत दूसरी पार्टियों में बैठ मेवा खा रहे हैं। आगे भी खाते ही रहेंगे। उदहारण के तौर पर देखिये। दो साल पहले सिंधिया कांग्रेस से निकलकर बीजेपी के साथ चले गए। अपने साथ दो दर्जन से विधायक भी ले गए। कमलनाथ की सरकार गिर गई। यह तो सिंधिया से पूछा जाना चाहिए कि आखिर कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए ही आपको संसद और मंत्री बनाया गया था? क्या सिंधिया इसका जवाब देंगे? और उधर सिंधिया के सभी समर्थक कांग्रेस में चले गए। आज सिंधिया कहां है? बीजेपी में उनकी क्या हालत है यह सब उन्ही को पता होगा।
हम बात राजस्थान की कर रहे हैं? खबर तो यह भी आ रही है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधर राजे बीजेपी से नाराज चल रही ही। खबर ये भी है कि वह कांग्रेस के साथ भी जा सकती है। खबर यह भी आती है कि वह अलग पार्टी भी बना सकती है। इसी तरह की खबरें निकल रही ही। लेकिन सच क्या है यह कोई नहीं जानता। एक सच तो यही है कि बीजेपी इस बार वसुंधरा के चेहरे पर विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेगी। कह सकते हैं वसुंधरा को जो करना है कर सकती है। उसे पार्टी ने एक तरफ से बैठा ही दिया है। लेकिन क्या वसुंधरा मौन रहेगी? क्या वह अपनी राजनीति को छोड़ देगी?
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बीजेपी राज्य में परिवर्तन यात्रा निकल रही है। इस यात्रा से वसुंधरा (Vasundhara Raje) दूर है। वह दिल्ली में बैठी है। कहा जा रहा ही कि उनकी भी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब है इसलिए वे दिल्ली से बाहर नहीं जा रही है। लेकिन सच यह नहीं ही सच तो यही ही कि न तो बीजेपी वसुंधरा को भाव दे रही ही और न ही वसुंधरा के मौजूद नेतृत्व को भाव दे रही है। दोनों तरफ बस तलवारें खींची हुई है।
25 सितम्बर को जयपुर में परिवर्तन यात्रा का समापन होना है। इस समापन समरोह में प्रधानमंत्री मोदी जयपुर जा रहे हैं। जानकारी मिल रही है कि इस समरोह में लाखों लोगों को जुटाने की बात हाे रही है। मोदी रैली करेंगे। बड़ी संख्या में महिलाओं को भी जुटाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या इस रैली में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) शामिल होंगी? अगर शामिल होती है तो ठीक है और नहीं होती है तो मान लीजिये वसुंधरा के लिए बीजेपी नहीं रहेगी और बीजेपी के लिए वसुंधरा (Vasundhara Raje) भी दूर हो जाएगी।