Political News Rajasthan: पांच राज्यों के चुनाव में राजस्थान में को कुछ होता दिख रहा है उससे साफ लगता है कि वहां बहुत कुछ बदलता नजर आ रहा है। कांग्रेस और भोंके बीच मुकाबला तो है ही साथ ही इन दोनो दलों के अपने अपने राग भी है। अपने दावे है। और अपने खेल भी। लेकिन एक दूसरा पहलू ये है कि दोनो दलों के दावे और खेल का जनता पर कोई प्रभाव नहीं डाल रहे हैं। जनता दोनो दलों को तौल रही है। जो लोग पार्टी से जुड़े हैं उनकी भक्ति पार्टी के प्रति आज भी है लेकिन को जनता किसी भी पार्टी से जुड़ी नही होती हर जीत का खेल तो इन्ही के जरिए होता है।
ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के दावे जो भी हो अभी भी हार जीत के बीच पेंडुलम की तरह झूल रहे हैं। पहले कई साल तक सचिन पायलट और सीएम गहलोत एक दूसरे के राजनीति विरोधी रहे। दोनो एक दूसरे के शत्रु बने रहे। दोनो एक दूसरे के खिलाफ बोलते रहे। दोनो के समर्थक भी एक दूसरे पर हमला करते रहे और इसका लाभ बीजेपी उठाती रही। बीजेपी को इसका लाभ मिला भी लेकिन अब कांग्रेस के दोनो नेता आरके हो गए हैं। यह भी कह सकते है कि दूर होकर भी एक होने का स्वांग कर रहे हैं।
अगर पार्टी को जीत हो गई तो चेहरे बदल जाए जी। संभव है कि गहलोत की जगह सचिन सामने आए हैं। इसलिए दोनो नेता खूब मेहनत भी कर रहे हैं ।दावा यह है कि फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी। सचिन पायलट का यही दावा जो है। सचिन पायलट घूम घूम कर यही कहते जा रहे हैं कि राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने की परंपरा रही है लेकिन इस बार यह परंपरा टूट जायेगी। कांग्रेस फिर से सत्ता में आयेगी। सचिन का यह बयान बड़ा बयान है। राजनीतिक जानकर इसे दूसरे शब्दों में परिभाषित कर रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि अब जो सरकार बनेगी उसमे सचिन को बड़ी भूमिका होनी है। यही वजह है कि सचिन फिर से परंपरा टूटने की बात कर रही है उधर बीजेपी को अपनी परेशानी है। बीजेपी में वसुंधरा सचमुच नाराज है वाह अपने सीट से चुनाव जरूर लड़ रही है लेकिन पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। वसुंधरा अपने लोगों के लिए भी काम कर रही है ।वसुंधरा की समझ यह कि उनके अधिक से अधिक लोग चुनाव जीत जाएं। आगे जो होगा देखा जायेगा ।ऊपर से देखने में भले ही ऐसा लगता हो की बीजेपी के भीतर सब ठीक गई और सब मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन हकीकत ऐसा नही है।
वसुंधरा की राजनीति को सब जानते हैं ।बीजेपी अब बिना वसुंधरा के चेहरे के जी मैदान में है। जा की प्रदेश को बड़ी आबादी आज भी वसुंधरा को ही अपना नेता मानती रही है। ऐसे में बीपीपी भी इस बात को जानती है कि चुनाव के बाद जो परिणाम आएंगे उसके बाद हो सीएम का चेहरा सामने आएगा। हो सकता है कि वसुंधरा फिर से सीएम बने भी जाए।
यह बीजेपी की मजबूरी हो सकती गई ।और यह इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि वसुंधरा के बहुत से लोग मैदान में हैं। अगर उनकी जीत हो गई तो बीजेपी को परेशानी बढ़ेगी। लेकिन असली खेल तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई की है ।चुनाव में कौन किसको मम्मे देगा यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन कांग्रेस जहां राजस्थान को परंपरा तो तोड़ते हुए फिर से सत्ता में वापसी को लड़ाई लड़ रही है वही बीजेपी में वसुंधरा राजे अपने खास उम्मीदवारों के जरिए फिर से सीएम बनने का सपना पाले हुए है।