मध्य प्रदेश में बीजेपी की आंधी तो आयी लेकिन छिंदवाड़ा में बीजेपी हो गई परास्त !
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की सातों सीट बीजेपी हार गई। यहां बीजेपी का कोई भी खेल नहीं चला। एक तरफ मध्यप्रदेश के चुनाव में जहां बीजेपी की बड़ी जीत हुई और वह डेढ़ सौ से जिद सीट जीतने में सफल हो गई वही छिंदवाड़ा में बीजेपी कोई कमाल नहीं दिखा नहीं पायी। बीजेपी के लोग भी इससे चकित हैं। खुद शिवराज सिंह चौहान भी आश्चर्य में हैं। अब बीजेपी के भीतर इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि अगर छिंदवाड़ा को टारगेट नहीं किया गया तो आग्मे लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मिशन को झटका लग सकता है।
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आज शिवराज सिंह छिंदवाड़ा जा रहे हैं। वहां वे जनता से मिलेंगे और इस बात की जानकारी लेंगे कि जनता ने बीजेपी को वोट क्यों नहीं दिया। बता दें कि छिंदवाड़ा कमलनाथ का इलाका है। वहां से कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ लोकसभा सांसद हैं। इस क्षेत्र में कमलनाथ की मजबूत पकड़ बताई जाती है। यहाँ विकास के काम भी खूब हुए हैं। कमलनाथ जब डेढ़ साल के लिए मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने मध्यप्रदेश के विकास में चाहे जो भी योगदान दिया हो लेकिन छिंदवाड़ा का विकास खूब हुआ था। इस बार बीजेपी को उम्मीद थी कि छिंदवाड़ा की बहुत सी सीटें बीजेपी के पाले में आ सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
शिवराज सिंह ने कहा है कि हमने आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटें जितने का संकल्प लिया है। इस संकल्प हो पूरा करना है ताकि आगामी चुनाव में मध्यप्रदेश से सभी सीट जीतकर पीएम मोदी को फिर से देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया जा सके। यह हमारा संकल्प है। और इस संकल्प को हमें पूरा करना है।
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बता दें कि छिंदवाड़ा कमलानाथ का गृह क्षेत्र है। 2019 के चुनाव में राज्य की 29 लोकसभा सीट में से एक छिंदवाड़ा की सीट से ही नाहुलनाथ चुनाव जीत पाए थे। राज्य की 28 लोकसभा सीट बीजेपी की झोली में गई थी। अब बीजेपी की निगाह छिंदवाड़ा पर जा टिकी है। बीजेपी के भीतर मंथन चल रहा है कि किसी भी सूरत में छिंदवाड़ा की सीट बीजेपी को हासिल करना है।
हलाकि सीएम शिवराज के इस बयान के बाद अभी तक कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रियां नहीं दी है लेकिन छिंदवाड़ा के लोगों का कहना है कि बीजेपी चाहे जो भी कर ले यह इलाका तो कमलनाथ के पर ही आगे बढ़ रहा है। आगामी चुनाव में छिंदवाड़ा क्या करेगा यह देखने की बात होगी लेकिन अभी से छिंदवाड़ा के भीतर बीजेपी बनाम कांग्रेस की लड़ाई शुरू हो गई है।
छिंदवाड़ा के कई इलाके में संघ की काफी पहुँच भी है। वनवासी कल्याण केंद्र के जरिये संघ आदिवासी इलाकों में बहुत कुछ करती रही है। मध्यप्रदेश में वैसे भी आदिवासियों की राजनीति बदलती रही है। पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश के आदिवासी कांग्रेस के साथ खड़े हो गए थे लेकिन इस बार आदिवासी फिर से बीजेपी के साथ खड़े हो गए। अब देखन है कि छिंदवाड़ा पाने के लिए बीजेपी के प्रयास को क्या कुछ मिलता है।