49 years since Emergency: 25 जून 1975, आज से 49 साल पहले उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अचानक रेडियो पर एक ऐलान किया था कि “भाइयों और बहनों राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है। उसे आपको घबराने की जरूरत नहीं है, इसे लोकतंत्र को बचाने के लिए ही किया गया है।” आपको बता दें की 25 जून 1975 की रात को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति खुदीन अली अहमद ने संविधान के आर्टिकल 352 के तहत पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया था।आपातकाल को सीधा तौर पर यही माना जाता है कि उस दिन संविधान और लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी। आजादी से लेकर कानून की बागडोर तक चंद लोगों के हाथ में रख दी गई थी, जिससे पूरी देश की जनता उनकी मुट्ठी की कठपुतली बन गई थी।
इमरजेंसी हमारे देश में 49 साल पहले लगाई गई थी जिसका ज़ख्म अभी तक पूरी तरह से भरा नहीं है। आज भी इमरजेंसी जैसे इतिहास को सोचकर देशवासियों के मन में कई सवाल आते हैं। क्या आपातकाल फिर से लग सकता है? क्या आपातकाल जैसी स्थिति देश में फिर से पैदा हो सकती है? क्या देश का लोकतंत्र फिर खतरे में हो सकते है ? ऐसे कई सवाल हैं जो एक आम आदमी के मन में आना लाज़मी है।बता दें की इमरजेंसी लगाने के कछु दिन पहले यानी 12 जून 1975 की तारीख उसके समय के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए काफी निराशा भरा था क्योंकि उसे दिन की सुबह उनके बेहद करीबी दुर्गा प्रसाद की मौत हो गई थी। अभी उनकी आंखों से आंसू सूखे भी नहीं थे कि दोपहर को गुजरात से बुरी खबर सामने आई। विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आये जिसमें कांग्रेस की पार्टी गुजरात में हार गई थी और उस समय 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में कांग्रेस को सिर्फ 74 की सीट मिली थी जिसे लेकर इंदिरा गांधी को बड़ झटका लगा था।
यह सिलसिला यहीं तक नहीं रुका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामले में फैसला सुनाते हुए 1971 में हुए लोकसभा चुनाव को रद्द कर दिया था साथ ही हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इंदिरा गांधी अगले 6 साल तक किसी भी प्रकार का चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद भारत की राजनीति में भूचाल आ गया था। राजनीतिक पार्टियों में हलचल होने लगी थी। हालांकि हाई कोर्ट ने उन्हें 20 दिन की मोहलत भी दी थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट में वह अपील कर सकती थी।इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोनों मामले में गंभीर आरोप लगाया था। पहले चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली में सरकारी अधिकारियों से मदद लेना और इसके अलावा इन अधिकारियों ने इंदिरा गांधी के रैली के लिए मंच का निर्माण किया था। वहीं दूसरा आरोप था कि उन्होंने अपने सचिव यशपाल कपूर की मदद चुनाव प्रचार के दौरान ली थी। यह दोनों मामले काफी गंभीर थे।
हालांकि 24 जून 1975 को हाई कोर्ट का एक आदेश आया जिसमें इंदिरा गांधी को बस इतनी राहत थी कि वह अपनी प्रधानमंत्री की पद पर बनी रह सकती थीं लेकिन लोकसभा के कार्य में भाग नहीं ले सकती हैं। उसके बाद जयप्रकाश नारायण पूरे देश में इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने के लिए प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया था। अगले दिन 25 जून इतिहास का सबसे काला पन्ना माना जाता है। उस दिन आर्टिकल 352 के तहत सरकार आपातकाल घोषित कर दी थी। आपातकाल 21 महीने तक चला था बता दें कि 25 जून 1975 को शुरू हुआ आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लग रहा। जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेई ने रामलीला मैदान में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि “बरे मुद्दत के मिले हैं दीवाने, कहने सुनने तो बहुत है अफसाने खुली हवा में जरा सांस तो ले ले कब तक रहेगी आजादी कौन जाने”।
क्या अभी लग सकता है आपातकाल
हालांकि आपातकाल हटाने के बाद जनता पार्टी ने सरकार बनीई थी और तब संविधान में कई संशोधन किए गए थे और सबसे महत्वपूर्ण संशोधन था 44 वां जिसके तहत कुछ ऐसे बदलाव किए गए थे, जिससे भविष्य में कोई भी संविधान की शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। इस संशोधन के बाद आर्टिकल 352 के तहत राष्ट्रपति तब तक आपातकाल को घोषित नहीं कर सकते तब तक संघ का मंत्रिमंडल लिखित रूप में ऐसा प्रस्ताव उन्हें नहीं भेज दे।
प्रधानमंत्री ने 49 साल बाद इमरजेंसी को लेकर विपक्ष पर साधा निशाना
वहीं आपातकाल के इतने साल बाद 25 जून 2024 को संसद सत्र के शुरू होने के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष पक्ष में इमरजेंसी को लेकर जंग छिड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी को लेकर बयान दिया है जिसमें इमरजेंसी को लोकतंत्र पर लगा ‘काला धब्बा’ बताया हैं। प्रधानमंत्री कहा कि इमरजेंसी की 49वीं बरसी के मौके पर देशवासी संकल्प लें कि भारत में फिर कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं कर सकें उन्होंने कहा कि कल 25 जून है। जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित है, वे 25 जून को कभी नहीं भूल सकते हैं। इमरजेंसी को लेकर प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर खरगे ने कहा कि वे इसको लेकर 100 बार बात करेंगे क्योंकि बिना इमरजेंसी लागू किये वे ऐसा कर रहे हैं।