दिल्ली

Delhi Doctors Protest: एक तरफ आजादी का जश्न, दूसरी तरफ ‘इंसाफ’ की आग!

Delhi Doctors Protest: एक तरफ कल हमने खूब जश्न मनाया…. आजादी का जश्न, खूब नाचे, खूब गाया…लेकिन वहीं दूसरी तरफ एक बेटी को इंसाफ अभी तक नहीं मिल पाया। सड़कों पर देर रात नारेबाजी हुई, इंसाफ के लिए रैलियां निकाली गई। कोर्ट में सुनवाई चली….खूब बयानबाजी चली, लेकिन नहीं मिला तो सिर्फ एक इंसाफ, वो भी उस बेटी को जो डॉक्टर थी, लोगों की सेवा करती थी। लोगों को नया जीवन देती…लेकिन हवस के दरिंदों ने बेटी पर तरस ना खाया और दरिंदगी की सारी हदों को पार कर दिया। क्या दोष था उनके कपड़ों में..क्या वो देर रात अकेले बाहर घूम रही थी? क्या वो अनजान लड़कों के साथ थी ?..जिस मां ने बच्ची को पैदा करते समय जितना दर्द सहा होगा..उससे कहीं ज्यादा दर्द बच्ची के शव को देखकर हुआ होगा..इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि उस मां-बाप पर क्या बीती होगी..? चंद मिनटों की खुशी के लिए कुछ दरिंदे ये भूल जाते है कि एक बच्चे को जन्म देने के लिए मां अपनी कोख में उस बच्चे को 9 महीने रखती है..कसूर बेटियों के कपड़ों में नहीं उन दरिंदों की सोच में है..उन दरिंदों की सोच से बेटियों को कब स्वतंत्रता मिलेगी..बेटियां कब आजाद होंगी।

आरोपी को सजा मिलती है..उस सजा से ये मैसेज देने की कोशिश की जाती है कि आने वाले समय में इस तरह के जघन्य अपराध ना हो..लेकिन फिर भी किसी हैवान या दरिंदे को ये चीजे नहीं समझ आती..वो कुछ मिनट की खुशी के लिए..किसी की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने से पहले जरा भी नहीं सोचता..दिल्ली में निर्भया केस ऐसा केस था..जिसने पूरे देश को रूला दिया था..इन घटनाओं के बाद भी प्रोटेस्ट हो रहे है..आरोप-प्रत्यारोप हो रहे है..जबतक दरिंदे और दरिंदो की सोच खत्म नहीं होगी..तब तक हर ऐसे ‘केस’ के बाद निकालते रहिए कैंडल मार्च, करते रहिए प्रोटेस्ट.. क्योंकि यही सबसे आसान है।

अब देखना ये होगा कि कब तक बेटियां निर्भया बनती रहेंगी, कब तक ये हवस के भैड़िए बहन बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाते रहेंगे और कब तक कानून की आंखों में काली पट्टी रहेगी। कब तक नेता सिर्फ सियासत करते रहेंगे…कब तब जनता सिर्फ हल्लाबोल करती रहेगी।

Shubham Pandey। Uttar Pradesh Bureau

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