Assam Cabinet: हर संस्कृति की शादी अलग-अलग रीति रिवाज के साथ होती है। अलग-अलग तरीकों से होती है, हिंदू की शादी सात फेरों के साथ कंप्लीट होती है, तो वहीं मुसलमान की शादी कबूल है से लेकर शादी के समय एक साइन होता है जिसे उनकी शादी एक कॉन्ट्रैक्ट बेस में होती है। जैसे हम सबको पता है कि मुस्लिम की शादी का रजिस्ट्रेशन काजी करते थे लेकिन अब असम सरकार के नियम बदल रही है।
दरअसल असम के मुख्यमंत्री हिमंता सरमा ने मुस्लिम के विवाह और तलाक के सभी जरूरी पंजीकरण के लिए विधानसभा के आगामी सत्र में एक विधेयक पेश करेगें, जिसमें साफ किया जाएगा कि अब मुसलमान की शादी और तलाक के कागज राज्य सरकार के पास भी रहेगी ना कि मुस्लिम समुदाय के काजी के पास। बता दें की मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के साथ बैठक में मीडिया से कहा कि सरकार आने वाले विधानसभा सत्र मे मुस्लिम विवाह के सभी पंजीकरण और तलाक विधेयक सरकार के पास होगी।
मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले मुस्लिम शादी काजी के द्वारा किया जाता था लेकिन अभी एक नया विधेयक होगा जो सुनिश्चित करेगा कि समुदाय में होने वाली शादी सरकार के समक्ष पंजीकृत होंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि पहले कार्यों के द्वारा नाबालिकों की भी शादी किया जाता था लेकिन इस सत्र के बाद ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।
इसके अलावा उन्होंने मंत्रिमंडल के फैसलो के हवाला देते हुआ कहा कि नाबालिकों की शादी का पंजीकरण बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह को जड़ से खत्म करना चाहते हैं और इसके लिए नया कानून भी लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विवाह समारोह के दौरान मुसलमान द्वारा अपनाई जाने वाली रस्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा लेकिन काजी द्वारा पंजीकरण पर रोक लगाई जाएगी। पिछले महीने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को हटाने के लिए उस विधि को मंजूरी दी थी लेकिन इस वजह से कम उम्र में विवाह की भी अनुमति मिल गई थी जिसे हटाया जा रहा है।