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No entry for Uttarakhand buses in Delhi: उत्तराखंड की बसों पर दिल्ली में नो एंट्री: यात्री परेशान, रामनगर डिपो की 16 बसें प्रतिबंधित

उत्तराखंड की बसों पर दिल्ली में नो एंट्री: यात्री परेशान, रामनगर डिपो की 16 बसें प्रतिबंधित

No entry for Uttarakhand buses in Delhi: दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत दिल्ली में BS-3 और BS-4 डीजल बसों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। इस प्रतिबंध का असर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों पर भी पड़ा है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

रामनगर डिपो की 16 बसें प्रभावित


दिल्ली सरकार के आदेश के बाद, रामनगर डिपो से दिल्ली जाने वाली उत्तराखंड परिवहन निगम की 16 बसों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। ये बसें BS-3 और BS-4 मानकों की हैं, जिन्हें अब दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इन बसों के प्रतिबंधित होने से रामनगर से दिल्ली जाने वाले यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

यात्रियों को हो रही परेशानियां


रामनगर से दिल्ली के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं। इन बसों के बंद होने से यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अब यात्रियों को वैकल्पिक साधनों की तलाश करनी पड़ रही है, जिससे यात्रा की लागत और समय दोनों बढ़ गए हैं।

अन्य रूटों पर बसों का संचालन


रामनगर डिपो के सहायक महाप्रबंधक आनंद प्रकाश ने बताया कि दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद BS-3 और BS-4 बसों को अब दिल्ली रूट पर नहीं चलाया जा रहा है। इन बसों को रामनगर से अन्य रूटों पर भेजा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली रूट पर BS-6 और CNG बसों को भेजा जा रहा है ताकि दिल्ली जाने वाले यात्रियों को दिक्कत ना हो।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी कदम


दिल्ली सरकार का यह कदम बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, इससे यात्रियों को असुविधा हो रही है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार का मानना है कि BS-3 और BS-4 वाहनों के कारण दिल्ली में प्रदूषण स्तर बढ़ रहा है, जिसे नियंत्रित करने के लिए यह प्रतिबंध आवश्यक था।

वैकल्पिक बस सेवाओं की जरूरत


यात्रियों की परेशानी को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम को जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। BS-6 और CNG बसों की संख्या बढ़ाकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। इससे न केवल यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।

Mansi Negi

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