Kumaoni film ‘Dharti Myar Kumaon Ki’: उत्तराखंड की पहाड़ी समस्याओं और वहां के समाज की सच्चाई को बड़े पर्दे पर लाने वाली कुमाऊंनी फिल्म ‘धरती म्यर कुमाऊं की’ इन दिनों प्रदेश के सिनेमाघरों में जबरदस्त धूम मचा रही है। यह फिल्म न केवल मनोरंजन प्रदान कर रही है, बल्कि दर्शकों को अपने समाज और संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर भी कर रही है।
फिल्म का उद्देश्य: पहाड़ की समस्याओं को उजागर करना
फिल्म के निर्देशक जयश्रीकिशन नौटियाल ने हल्द्वानी के हल्दूचौड़ स्थित एक मल्टीप्लेक्स में मीडिया से बात करते हुए बताया कि यह फिल्म उत्तराखंड की ज्वलंत समस्याओं पर आधारित है। इसमें खास तौर पर रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को उठाया गया है। फिल्म का उद्देश्य न केवल पहाड़ की पीड़ा को उजागर करना है, बल्कि युवाओं को यह संदेश देना है कि वे अपनी जड़ों को कभी न भूलें।
उन्होंने कहा, “हम कहीं भी रहें, किसी भी ऊंचाई पर पहुंचें, लेकिन हमें अपने पैतृक स्थान और उसके विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए।”
पहाड़ की समस्याओं को दिखाती कहानी
फिल्म में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। खासकर महिलाओं को प्रसव के दौरान सड़क और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उसे बड़े ही संवेदनशील तरीके से दर्शाया गया है।
फिल्म न केवल इन समस्याओं को दिखाती है, बल्कि यह भी प्रेरित करती है कि पहाड़ के युवा अपने क्षेत्र के विकास के लिए योगदान दें।
कुमाऊंनी भाषा और संस्कृति का अनोखा संगम
पूरी फिल्म कुमाऊंनी भाषा में बनाई गई है, जो इसे और भी खास बनाती है। उत्तराखंड की अपनी स्थानीय भाषा में बनी यह फिल्म दर्शकों को अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति गर्व महसूस कराती है। ‘धरती म्यर कुमाऊं की’ की पटकथा गहन शोध और सच्चाई पर आधारित है, जिसे दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं।
फिल्म को देवभूमि फिल्म्स प्रोडक्शन के बैनर तले बनाया गया है। यह उत्तराखंड की पहली फिल्मों में से एक है जो कुमाऊंनी भाषा में बनी है और इसे बड़े स्तर पर दर्शकों तक पहुंचाया गया है।
दर्शकों की शानदार प्रतिक्रिया
हल्द्वानी, रामनगर, रुद्रपुर और काशीपुर के मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में यह फिल्म चल रही है, जहां इसे दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। जल्द ही इसे कुमाऊं के अन्य हिस्सों और पूरे उत्तराखंड में रिलीज किया जाएगा। फिल्म देखने आए दर्शकों का कहना है कि इसकी कहानी बेहद शिक्षाप्रद और भावनात्मक है।
एक दर्शक ने कहा, “फिल्म ने न केवल हमें पहाड़ की समस्याओं के प्रति जागरूक किया है, बल्कि अपनी संस्कृति और क्षेत्र के प्रति जुड़ाव महसूस कराया है।”
निर्देशक की अपील
जयश्रीकिशन नौटियाल ने फिल्म के माध्यम से उत्तराखंड के युवाओं से अपील की कि वे अपने क्षेत्र के विकास और उसकी समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म कम बजट में बनाई गई है, लेकिन इसका उद्देश्य बड़ा है।
उनका मानना है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है, और ‘धरती म्यर कुमाऊं की’ ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
फिल्म के साथ बढ़ता स्थानीय सिनेमा का कद
‘धरती म्यर कुमाऊं की’ न केवल एक मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह उत्तराखंड के स्थानीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर भी साबित हो रही है। इसे देखकर यह साफ हो जाता है कि स्थानीय भाषाओं और मुद्दों पर बनी फिल्में भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर सकती हैं और समाज में बदलाव ला सकती हैं।