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Maharashtra Politics News Update: महाराष्ट्र में BJP के लिए RSS कैसे साबित हुई गेमचेंजर? समझें प्लान

RSS BJP के लिए चुनावी रणनीति बनाने और उसे अमल में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस बदलाव की शुरुआत 1980 के दशक में तीसरे सर संघचालक बालासाहेब देवरस के समय में हुई थी। हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में RSS की सक्रिय भागीदारी और बीजेपी की शानदार जीत इस बात का ताजा उदाहरण है।

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में BJP की जीत RSS के प्रयासों के कारण हुई। हरियाणा चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या उससे जुड़े संगठनो ने महाराष्ट्र चुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित किया। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान से भी स्वयंसेवक अपने संगठन मंत्रियों के साथ महाराष्ट्र पहुंचे थे। पूरी माइक्रो प्लानिंग RSS के स्वयंसेवकों एवं RSS के सहयोगी 36 संगठन ने किया था। पूरे महाराष्ट्र में स्वयंसेवक भारतीय जनता पार्टी की जीत की नींव मजबूत करने में लगे हुए थे।

RSS को पहले सिर्फ सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब वो BJP के लिए चुनावी रणनीति बनाने और उसे अमल में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस बदलाव की शुरुआत 1980 के दशक में तीसरे सर संघचालक बालासाहेब देवरस के समय में हुई थी। हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में RSS की सक्रिय भागीदारी और बीजेपी की शानदार जीत इस बात का ताजा उदाहरण है। RSS के इस नए रूप ने सबको चौंका दिया है। RSS के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र में घर-घर जाकर प्रचार किया और लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित किया। RSS के वरिष्ठ प्रचारक दिलीप देवधर का कहना है कि इस बार RSS ने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ में ले ली थी।

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1 व्यक्ति 2 घर का फॉर्मूला

RSS के जो स्थानीय स्वयंसेवक थे उन्हें ‘एक स्वयंसेवक दो घर’ की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके तहत इन लोगों ने अपने कार्य को क्रियान्वित करना शुरू किया। लोगों को दो व्यक्तियों के घर पर जाकर 100% मतदान की बात करनी है, सनातन की बात करनी है, हिंदू धर्म की बात करनी है, राष्ट्रीय हित की बात करनी है। उसे उन व्यक्तियों के घर पर कुछ खाना-पीना नहीं है, सिर्फ अपनी बात उनके सामने रखनी है और जब तक वह मोटिवेट (MOTIVATE) नहीं हो जाते तब तक उनके संपर्क में रहना है। जब लगे कि वो व्यक्ति अपनी बातों से प्रभावित हो चुका है, मोटिवेट हो चुका है, फिर अगले दो घर लक्ष्य रखा जाता था। कोई दिखावा नहीं किया जाएगा। कोई फोटो नहीं खींची जाएगी, सोशल मीडिया पर नहीं डाला जाएगा। इस तरीके से संघ ने एक-एक व्यक्ति से संपर्क करना शुरू किया। संघ एवं उसके सहयोगी संगठनों ने हर जिले में 25 से 30,OOO छोटी-छोटी बैठकें की।

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महाराष्ट्र चुनाव (maharashtra election) को देखते हुए Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) ने पिछले 2 महीने में महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों की प्रांत स्तर की लगभग 10 से 12 बड़ी बैठक ली। मुंबई, मराठवाडा, विदर्भ, कोकण इन तमाम क्षेत्रों में RSS ने कई बैठके ली हैं। अक्टूबर और नवम्बर महीने में हर जिले की संघ और बीजेपी के बीच सामान्य बैठक हुई। महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra election) में संघ एवं उसके 36 सहयोगी संगठन पूरे तरीके से चुनाव में सक्रिय हो गए थे।

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अतुल लिमये ने निभाया अहम किरदार

आरएसएस के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये ने भारतीय जनता पार्टी की जीत की योजना का मसौदा तैयार किया था। भारतीय जनता पार्टी की जीत की नींव मजबूत करने के लिए उन्होंने सबसे पहले आरएसएस के सभी सहयोगी समूहों को संगठित किया। आरएसएस के 36 सहयोगी संगठनों ने जमीनी स्तर पर चुनावी समीकरण में भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत की। आरएसएस के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मजदूर संघ, किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा शक्ति, मातृशक्ति, वनवासी आश्रम जैसे सभी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जागरण मंच के बैनर के तहत घर-घर जाकर प्रचार किया। प्रत्येक जिले में लोक जागरण मंच ने लगभग 200 स्थानीय टोलियां बनाई गई जो लोगों के घरों में जाएंगे और हिंदुत्व तथा 100% मतदान पर चर्चा करेंगे।

BJP की 132 सीटों पर जीत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति से संबद्ध भाजपा को 132 सीटें मिलीं, जबकि राकांपा को 41 और शिवसेना को 57 सीटें मिलीं। इस प्रकार कुल 230 सीटें हुईं। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (UBT) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

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Prachi Chaudhary

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