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UP News: सम्भल हिंसा के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज, विपक्ष और सरकार आमने-सामने

गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि सम्भल में हालात संवेदनशील बने हुए हैं और शांति व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है। अधिकारियों ने बताया कि सम्भल में बढ़ते तनाव को देखते हुए किसी भी प्रतिनिधिमंडल की एंट्री पर अस्थायी रोक लगाई गई है।

UP News: उत्तर प्रदेश के सम्भल में हुई हिंसा ने प्रदेश की राजनीति को उबाल पर ला दिया है। हिंसा में पांच लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद राजनीतिक दलों ने सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। शनिवार को समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने निकला, लेकिन गाजियाबाद में ही पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

पुलिस ने क्यों रोका प्रतिनिधिमंडल?

गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि सम्भल में हालात संवेदनशील बने हुए हैं और शांति व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है। अधिकारियों ने बताया कि सम्भल में बढ़ते तनाव को देखते हुए किसी भी प्रतिनिधिमंडल की एंट्री पर अस्थायी रोक लगाई गई है।

सांसदों का आरोप: “सरकार सच छिपा रही है”

सम्भल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने गाजियाबाद में मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह सरकार की असफलता है। हिंसा रोकने में नाकाम पुलिस अब विपक्ष को रोक रही है ताकि उनकी खामियां उजागर न हो।”

मुजफ्फरनगर सांसद हरेंद्र मालिक ने इसे लोकतंत्र पर कुठाराघात बताते हुए कहा, “हमारी कोशिश थी कि हम पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएं समझें। लेकिन सरकार अपनी नाकामी को ढकने के लिए हमारे रास्ते में बाधा डाल रही है।”

सम्भल में क्या हुआ था?

बीते सप्ताह सम्भल में एक छोटे विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। पथराव और झड़पों में पांच लोगों की मौत हुई, जबकि कई घायल हो गए। घटना के बाद से इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की ढिलाई ने मामले को बिगाड़ा।

राजनीति के केंद्र में सम्भल

इस घटना ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “यूपी में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। सम्भल में हुई घटना सरकार की नीतिगत विफलता का परिणाम है।” दूसरी ओर, भाजपा ने सपा पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष शांति प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास कर रहा है।

आगे क्या?

इस घटना के बाद सम्भल का माहौल भले ही शांत दिख रहा हो, लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और विपक्ष किस तरह इसे आगामी चुनावों में भुनाने की कोशिश करता है।

Written By। Praveen Mishra । Ghaziabad Desk

प्रवीण मिश्रा को पत्रकारिता की दुनिया में काफी महारत हासिल मौजूदा समय में वह गाजियाबाद News Watch India को अपनी सेवा दे रहे हैं

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प्रवीण मिश्रा को पत्रकारिता की दुनिया में काफी महारत हासिल मौजूदा समय में वह गाजियाबाद News Watch India को अपनी सेवा दे रहे हैं

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