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प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बदले सुर, क्या हैं कनाडा की बड़ी मजबूरी!

Canada PM Justin Trudeu News! कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी… कुछ ऐसे ही हाल कनाडा हैं. खालिस्तान के मुद्दे पर भारत पर ‘बेतुके’ आरोप लगाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सुर बदले-बदले नजर आने लगे हैं। कनाडा-भारत (Canada- India) के बीच चल रहे तनातनी से भारतीय शेयर मार्केट पर असर तो पड़ा, लेकिन अच्छी बात रही है कि इससे कनाडा की कंपनियों से आने वाले निवेश पर प्रभाव नहीं पड़ा है। कनाडा के लिए भारत से अपना निवेश निकाल पाना सरल भी नहीं है।

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भारत और कनाडा ( India Canada) के बीच पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रही है। दोनों देशों के बीच खालिस्तान के मुद्दे पर कूटनीतिक तनाव बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच बाजार से लेकर व्यापार तक का रिश्ता है। कनाडा की कंपनियों का भारत में निवेश है तो वहीं भारतीय कंपनियों ने कनाडा में भारी भरकम निवेश किया है। कनाडा और भारत के बीच अगर संबंध बिगड़ते हैं तो व्यापार पर असर होगा। हालांकि जिस तरह से कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के शब्द बदले हैं, उससे लगने लगा है कि उन्हें अपनी भूल का अहसास हो गया है। भारत से गतिरोध के बीच ट्रूडो ने कहा कि कनाडा अभी भी भारत के साथ धनिष्ठ संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। बीते कुछ दिनों से कनाडा विवाद का असर भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है। हालांकि इस तनाव का असर कनाडा के निवेश पर नहीं हुआ है। सितंबर महीने में भारतीय बाजार से निवेशकों से मोटा पैसा निकाला, लेकिन अच्छी बात ये रही है इसमें कनाडा का निवेश नहीं है।

कनाडा नहीं निकाल रहा पैसा
भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ रहा है। खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के संबंधों में दरार आ रही है। कनाडा के साथ बिगड़ते संबंधों का असर स्टॉक मार्केट पर तो दिख रहा है, लेकिन खास बात ये है कि इससे कनाडा का भारत में निवेश प्रभावित नहीं हुआ है। सितंबर महीने में भारत से 12000 करोड़ रुपये की निकासी हुई, लेकिन इस निकासी में कनाडा का आउटफ्लो नहीं मिला है। दरअसल अमेरिकी फेडरल की टिप्पणियों के बाद से भारतीय बाजार से 12 हजार करोड़ रुपये निकल गए, लेकिन इसमें कनाडाई कंपनियों की हिस्सेदारी के संकेत नहीं है। कनाडा की कंपनियों का निवेश भारतीय बाजार में बना हुआ है। जिसकी वजह भी है। कनाडा चाहकर भी इतनी आसानी से भारतीय बाजार से अपने हाथ नहीं खींच सकता है। इंडियन स्टॉक एक्सचेंज के पास मौजूद ब्लॉक डील के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाजार से जो निकासी हुई है, उसमें कनाडा ( Canada) से जुड़ी कोई बिक्री नहीं है।

क्या है कनाडा की मजबूरी
कनाडा पेंशन फंड ( Canada pension fund) का भारतीय बाजार में 1.74 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश है। कनाडा चाहकर भी इस निवेश को आसानी से नहीं निकाल सकता है। कनाडाई कंपनियों को भारतीय बाजार से अच्छा रिटर्न मिलता है। कनाडाई पेंशन फंड को भारतीय बाजार से अच्छा रिटर्न मिल रहा है। ऐसे में कंपनी जानबूझ कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारेगी। यही वजह है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद अभी तक कनाडाई निवेशकों की ओर से बिकवाली नहीं दिख रही है। भारत की FPI योजनाएं और तेज रफ्तार से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को देखें तो कनाडाई कंपनियां अपना नुकसान नहीं चाहेंगी।

भारतीय बाजार में मिल रहा बेहतर रिटर्न
कनाडा (Canada) की कंपनियों को भारतीय बाजार से अच्छा खासा रिटर्न मिल रहा है। कई कंपनियों में कनाडा पेंशन फंड (Canada pension fund) का निवेश है। दोनों देशों के बीच 8 अरब डॉलर का कारोबार है। अगस्त के आखिरी तक कनाडा के विदेशी निवेशकों ने 150871 करोड़ रुपये का प्रबंधन किया था। वहीं कई ऐसी चीजें हैं, जिसके लिए कनाडा भारत पर निर्भर है। वहीं कनाडा की इकॉनमी में भारत और भारतीयों का बड़ा योगदान है। कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीय छात्र बड़ी भूमिका निभाते हैं। वहीं कनाडा में निवेश करने वाली भारत की कंपनियां वहां की अर्थव्यवस्था, रोजगार में बड़ी साझेदारी निभाती हैं।

भारतीय कंपनियों का बड़ा निवेश
भारत की कंपनियों का कनाडा में बड़ा निवेश है। हमारी दिग्गज IT कंपनियां जैसे विप्रो, TCS, इंफोसिस समेत 30 से अधिक बड़ी कंपनियां कनाडा की इकॉनमी में बड़ा रोल निभाती है। हाल ही में महिंद्रा एंड महिंद्रा की कंपनियों ने कनाडा को गुडबाय कर दिया है। JSW स्टील ने भी कनाडा की टेक रिसोर्सेज के साथ होने वाली एक डील की रफ्तार धीमी कर दी है। CII के मुताबिक भारतीय कंपनियों ने कनाडा में 6.6 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया हुआ है। ये कंपनियां वहां बड़े पैमाने पर नौकरी पैदा करती है। यदि भारतीय कंपनियों ने वहां कारोबार समेटा को कनाडा के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

Prachi Chaudhary

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