UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता (UCC), ऐतिहासिक बदलावों की शुरुआत
UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है, जिससे कई बदलाव किए गए हैं। अब बहुविवाह और हलाला पर रोक लगाई गई है। तलाक के लिए सभी पर एक समान कानून लागू होगा। विवाह का पंजीकरण छह महीने के भीतर और लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के समान अधिकार मिलेंगे।
UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गई है, जिससे राज्य में सामाजिक और कानूनी ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में इस संहिता की नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण कर इसे औपचारिक रूप से लागू किया। इस कदम के साथ उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
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क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, जिसमें जाति, धर्म, लिंग या समुदाय के आधार पर भेदभाव न हो। उत्तराखंड में UCC लागू होने के साथ ही तलाक, विवाह, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम बनाए गए हैं।
महत्वपूर्ण बदलाव जो UCC के तहत लागू होंगे:
- बहुविवाह पर रोक: अब राज्य में किसी भी व्यक्ति को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
- हलाला की प्रथा समाप्त: UCC के तहत हलाला जैसी विवादित प्रथा पर पूर्ण रूप से रोक लगाई गई है। यह प्रथा मुस्लिम समाज में तलाक के बाद पुनर्विवाह से जुड़ी थी, जो अब राज्य में अवैध घोषित हो चुकी है।
- लड़कियों को समान उत्तराधिकार: उत्तराधिकार कानून में बड़ा बदलाव करते हुए लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार दिया गया है। अब संपत्ति के बंटवारे में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होगा।
- शादी का अनिवार्य पंजीकरण: सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। विवाह के पंजीकरण की सुविधा ग्रामसभा स्तर पर उपलब्ध होगी। आवेदन के 15 दिनों के भीतर निर्णय नहीं होने पर विवाह पंजीकृत माना जाएगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को अपने रिश्ते का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इस दौरान पैदा होने वाले बच्चों को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चों के समान अधिकार प्राप्त होंगे।
- गोद लेने के नियम समान: सभी धर्मों के लोगों को बच्चों को गोद लेने का समान अधिकार दिया गया है। हालांकि, दूसरे धर्म के बच्चों को गोद लेने पर प्रतिबंध रहेगा।
- लड़कियों की शादी की उम्र समान: लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से हों, समान होगी।
- सशस्त्र बलों के लिए विशेष प्रावधान: सशस्त्र बलों के जवानों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। यदि कोई सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक विशेष अभियान में है, तो वह अपने हाथ से लिखी वसीयत को मान्य करा सकता है, भले ही उसमें हस्ताक्षर या अटेस्टेशन न हो।
अनुसूचित जनजातियों को छूट:
यूसीसी के प्रावधान अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होंगे। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय की पूजा-पद्धतियों और परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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पुराने विवाहों का पंजीकरण:
27 मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों को पंजीकृत कराना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए छह महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है।
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