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BASANT PANCHAMI 2025: बसंत पंचमी पर भक्तिमय हुई धर्मनगरी हरिद्वार, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

BASANT PANCHAMI 2025: बसंत पंचमी के पावन अवसर पर हरिद्वार की धर्मनगरी भक्तिमय माहौल में डूबी हुई है। श्रद्धालु हरकी पैड़ी पर आस्था की डुबकी लगाकर गंगा स्नान कर रहे हैं। हालांकि ठंड का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह के आगे मौसम की सर्दी भी फीकी पड़ गई है। गंगा तट पर भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है, जो इस शुभ दिन पर स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने में लगी हुई है।

BASANT PANCHAMI 2025: धर्मनगरी हरिद्वार में बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है, जो आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। हरकी पैड़ी पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं, हालांकि ठंड का असर भी देखने को मिल रहा है। फिर भी आस्था और श्रद्धा के आगे मौसम की सर्दी फीकी पड़ गई है।

गंगा स्नान का विशेष महत्व

बसंत पंचमी पर गंगा स्नान को अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति गंगा स्नान करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर गंगा तट पर पहुंचते हैं और स्नान का लाभ उठाते हैं।

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हरिद्वार के पंडित शक्तिधर शास्त्री बताते हैं कि बसंत पंचमी का पर्व सनातन परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में स्थित रहते हैं, जिससे विशेष रूप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

बसंत पंचमी: ऋतु परिवर्तन और धार्मिक अनुष्ठान

बसंत पंचमी को ऋतु परिवर्तन का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन के बाद ठंड धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है और वसंत ऋतु का आगमन होता है। इस अवसर पर न केवल गंगा स्नान, बल्कि दान, तप, यज्ञ और पूजा-पाठ का भी विशेष महत्व होता है।

The holy city of Haridwar became devotional on Basant Panchami, devotees took a holy dip.

हरिद्वार में इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिनमें जनेऊ संस्कार और मुंडन संस्कार प्रमुख हैं। इसके अलावा, श्रद्धालु पीले वस्त्र धारण कर पूजा-पाठ करते हैं, जिससे मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

कलाकारों और विद्वानों के लिए विशेष दिन

बसंत पंचमी का संबंध केवल धार्मिक आस्था से ही नहीं, बल्कि ज्ञान और कला से भी जुड़ा हुआ है। प्राचीनकाल में विक्रमादित्य और राजा भोज के शासनकाल में इस दिन विद्वानों और कलाकारों को सम्मानित किया जाता था। पंडित शक्तिधर शास्त्री बताते हैं कि इस अवसर पर शास्त्रार्थ (वाद-विवाद प्रतियोगिताएं) का आयोजन किया जाता था, जिससे ज्ञान-विज्ञान की वृद्धि होती थी।

आज भी इस परंपरा को जारी रखते हुए विभिन्न विद्यालयों और संस्कृत संस्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन विद्यारंभ संस्कार का आयोजन किया जाता है।

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श्रद्धालुओं की आस्था और उमंग

हरकी पैड़ी पर स्नान कर रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा स्नान से उनके जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें मां सरस्वती तथा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनका विश्वास है कि इस पावन अवसर पर गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हरिद्वार प्रशासन ने भी इस अवसर पर विशेष तैयारियां की हैं। गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही, सफाई व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

संस्कार और श्रद्धा का अद्भुत संगम

बसंत पंचमी का यह पावन पर्व हरिद्वार में आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है। श्रद्धालुओं की उमंग, धार्मिक अनुष्ठानों की पवित्रता और गंगा की निर्मल धारा के बीच धर्मनगरी का वातावरण भक्तिमय हो गया है।

आज का दिन विद्या, ज्ञान, संगीत, कला और धर्म का प्रतीक है। इस अवसर पर आस्था की डुबकी लगाने वाले हर व्यक्ति के मन में बस यही भावना है कि बसंत पंचमी का यह पर्व उनके जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और समृद्धि लेकर आए।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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