MAHA KUMBH MELA 2025: साध्वी सत्यप्रिया गिरी बनीं महामंडलेश्वर, निरंजनी अखाड़े में भव्य पट्टाभिषेक समारोह
MAHA KUMBH MELA 2025: महाकुंभ मेले 2025 के आयोजन की तैयारियों के बीच निरंजनी अखाड़े ने साध्वी ऋतम्भरा की शिष्या साध्वी सत्यप्रिया गिरी को महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की। उनके पट्टाभिषेक कार्यक्रम में भव्य आयोजन किया गया, जिसमें तीन कुंतल फूलों का इस्तेमाल किया गया। इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त करने के लिए गहन आध्यात्मिक तपस्या, वेदों और शास्त्रों का गहन अध्ययन, समाज सेवा तथा संत समाज में विशिष्ट योगदान जैसी योग्यताएं आवश्यक होती हैं।
MAHA KUMBH MELA 2025 : महाकुंभ 2025 के दौरान अखाड़ों की धर्म और परंपरा से जुड़ी गतिविधियों का दौर जारी है। इसी कड़ी में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने बुधवार को साध्वी सत्यप्रिया गिरी को महामंडलेश्वर की पदवी प्रदान की। यह भव्य पट्टाभिषेक समारोह पूरी विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आयोजित किया गया। समारोह में तीन कुंतल फूलों का उपयोग किया गया, सैकड़ों मालाएं चढ़ाई गईं, और हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े ने अब तक कुल 16 महामंडलेश्वर और 1 जगद्गुरु को पदवी प्रदान की है।
साध्वी ऋतम्भरा की शिष्या हैं महामंडलेश्वर सत्यप्रिया गिरी
साध्वी सत्यप्रिया गिरी को हिंदुत्व की प्रखर नेता और ओजस्वी वक्ता साध्वी ऋतम्भरा की शिष्या होने का गौरव प्राप्त है। उनके पट्टाभिषेक समारोह में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्रपुरी, आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी, और स्वयं साध्वी ऋतम्भरा सहित अनेक संत-महंतों, महामंडलेश्वरों और भक्तों ने भाग लिया।
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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुए इस धार्मिक अनुष्ठान में स्वामी बालकानंद गिरी और महंत रवींद्रपुरी ने सबसे पहले चादरपोशी की रस्म पूरी की। इसके बाद, साध्वी ऋतम्भरा ने अपनी शिष्या को पुष्पों की वर्षा कर आशीर्वाद दिया। यह अनुष्ठान सनातन धर्म की परंपराओं को संरक्षित करने और गुरु-शिष्य परंपरा को मजबूत करने का प्रतीक है।
काशी-मथुरा में भव्य मंदिर निर्माण के लिए करेंगी कार्य
महामंडलेश्वर का पद संभालने के बाद साध्वी सत्यप्रिया गिरी ने अपने उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के संघर्ष को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अब उनका ध्यान काशी और मथुरा में भव्य शिव और कृष्ण मंदिर के निर्माण पर रहेगा।
उन्होंने कहा, “मेरी गुरु साध्वी ऋतम्भरा ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए संघर्ष किया, जिससे हिंदू समाज को उसका अधिकार मिला। अब समय आ गया है कि हम काशी और मथुरा में भी भव्य मंदिरों का निर्माण पूरा करवाएं। यह संघर्ष लंबा नहीं खिंच सकता, अब जल्द से जल्द इन मंदिरों का निर्माण पूरा होना चाहिए।”
इस घोषणा के बाद सनातन धर्म के अनुयायियों और मंदिर निर्माण के समर्थकों में उत्साह देखने को मिला।
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महामंडलेश्वर बनने के लिए जरूरी योग्यता और प्रक्रिया
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी ने महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया और योग्यता के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी संत को महामंडलेश्वर बनाने से पहले उसकी शिक्षा-दीक्षा, मठ-मंदिर और शिष्यों से जुड़ी जानकारी जुटाई जाती है।
महामंडलेश्वर बनने के लिए आवश्यक योग्यताएँ:
- आचार्य की डिग्री: अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने के लिए कम से कम आचार्य की डिग्री आवश्यक होती है। इससे कम पढ़े-लिखे संत को यह पदवी नहीं दी जाती।
- धर्म और शास्त्रों का ज्ञान: महामंडलेश्वर बनने वाले संत को सनातन धर्म, वेदों, शास्त्रों, पूजा-पाठ, कथा और प्रवचन में निपुण होना आवश्यक है।
- संपत्ति और पृष्ठभूमि की जांच: महामंडलेश्वर बनने से पहले उनके मठ-मंदिर की संपत्ति और उनके पूर्व के आचरण की भी जांच की जाती है।
- सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार की योग्यता: संत का उद्देश्य और क्षमता देखी जाती है कि वह सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कैसे करेगा।
महंत रवींद्रपुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि महामंडलेश्वर बनने के बाद भी उनके कार्यों और आचरण पर निरंतर निगरानी रखी जाती है। अगर कोई संत अखाड़े या मठ की संपत्ति को अपने परिवार या व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करने की कोशिश करता है, तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है।
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महाकुंभ के समापन की ओर बढ़ते अखाड़े
महाकुंभ 2025 में तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों के प्रयागराज से विदा होने का समय आ गया है। 7 फरवरी को निरंजनी अखाड़ा समेत अन्य अखाड़े और उनसे जुड़े साधु-संत प्रयागराज से विदा हो जाएंगे।
इससे पहले, अखाड़ों द्वारा अपने नए महामंडलेश्वर नियुक्त करने और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन का दौर जारी है। साध्वी सत्यप्रिया गिरी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के साथ ही इस महाकुंभ में अब तक कुल 16 महामंडलेश्वर और 1 जगद्गुरु बनाए जा चुके हैं।
सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता
महामंडलेश्वर बनने के बाद साध्वी सत्यप्रिया गिरी ने कहा कि वे निरंतर सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य करती रहेंगी। वे परम शक्ति पीठ वात्सल्य ग्राम वृंदावन मथुरा की पीठाधीश्वर भी हैं और हिंदू समाज को संगठित करने के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी ने भी इस बात पर जोर दिया कि साध्वी सत्यप्रिया गिरी सनातन परंपराओं का पूर्ण रूप से पालन करती हैं और उनके नेतृत्व में धर्म के प्रचार-प्रसार को और गति मिलेगी।
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