Latest Hindi Political News: भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस का प्लान तैयार, सामाजिक न्याय से लेकर आरक्षण और सद्भावना से लेकर राष्ट्रवाद तक का खाका तैयार
गुजरात में कांग्रेस के अधिवेशन में भाजपा को जवाब देने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। कांग्रेस ने आरक्षण पर कड़ा रुख अपनाया है और भाजपा के "छद्म राष्ट्रवाद" की आलोचना की है। यह अधिवेशन पार्टी के पुनरुत्थान का प्रतीक है।
Latest Hindi Political News: कांग्रेस ने बीजेपी से मुकाबले के लिए खाका तैयार कर लिया है। गुजरात के अहमदाबाद में चल रहे सत्र के पहले दिन कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी की भावी दिशा तय कर दी गई है। अपने संगठन को मजबूत करने और बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के साथ ही कांग्रेस ने सामाजिक न्याय, सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर आगे बढ़ने की योजना बनाई है, जिसे आज साबरमती के तट पर लागू किया जाएगा।
अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक
गुजरात के अहमदाबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में कांग्रेस ने देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए ‘न्याय के मार्ग’ पर चलने का संकल्प लिया। कांग्रेस ने भाजपा की निंदा करने की अपनी परंपरा से आगे बढ़ने का भी संकेत दिया है। उसने महात्मा गांधी की विचारधारा और सरदार पटेल की विरासत के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। बुधवार को कांग्रेस की बैठक में अपनाए जाने वाले प्रस्ताव पर मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में चर्चा की गई।
पटेल के सहारे राष्ट्रवाद को धार दी जाएगी
कांग्रेस ने राष्ट्रवाद और सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत को फिर से हासिल करने की कोशिश की है। कांग्रेस इससे जुड़े स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीकों को भी अपनाती नजर आ रही है। सीडब्ल्यूसी की बैठक में सरदार वल्लभ भाई पटेल पर एक विशेष प्रस्ताव पारित कर उन्हें आजादी का ध्वजवाहक बताया गया, जिसमें कहा गया कि कांग्रेस सरदार पटेल के आदर्शों और सिद्धांतों के रास्ते पर चलते हुए लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई जारी रखेगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरदार पटेल के रास्ते पर चलते हुए कांग्रेस किसानों के अधिकारों की लड़ाई और ‘नफरत छोड़ो-भारत एक करो’ के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
पढ़े : पूर्व भारतीय क्रिकेटर केदार जाधव ने बीजेपी से शुरू किया राजनीतिक सफर
कांग्रेस पार्टी की यात्रा में यह एक ऐतिहासिक क्षण – के.सी वेणुगोपाल
कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की यात्रा में यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि इस वर्ष महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ और सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। कांग्रेस का गुजरात से गहरा नाता है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के बीज यहीं पले थे। साथ ही जयराम रमेश ने कहा कि सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे, उन्होंने गांधी जी के नेतृत्व में देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। इन दोनों नेताओं ने देश के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
राष्ट्रवाद का विचार लोगों को एक साथ जोड़ता है
कांग्रेस ने सरदार पटेल और नेहरू के रिश्ते को एक सूत्र में जोड़कर भाजपा को झूठा साबित करने की कोशिश की है। जयराम रमेश ने कहा, कि सरदार पटेल और नेहरू के रिश्ते को लेकर झूठ फैलाने वाले कहते हैं कि वे एक-दूसरे के विरोधी थे, जबकि सच यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके मधुर संबंधों के गवाह हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस के लिए राष्ट्रवाद का विचार लोगों को एक साथ जोड़ता है, जबकि भाजपा-आरएसएस का ‘छद्म राष्ट्रवाद’ देश और लोगों को बांटना चाहता है। राष्ट्रवाद का भाजपा-आरएसएस मॉडल भारत की विविधता को मिटाने के उद्देश्य से है।
सामाजिक न्याय की ओर एक कदम
सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग तक पहुंचने से पीछे नहीं हटेगी और मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर भी खुलकर बोलने की वकालत की है। राहुल गांधी ने मजबूती से दलील दी कि पार्टी को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी और उनके हितों की रक्षा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को निजी क्षेत्र में वंचित वर्गों के लिए आरक्षण की मांग करनी चाहिए।
Latest ALSO New Update Uttar Pradesh News, उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर
कांग्रेस को मुस्लिम, ईसाई या सिख जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से नहीं डरना चाहिए – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े और सर्वाधिक पिछड़े समुदायों तक पहुंच बनाकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी चुनावी वापसी कर सकती है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस को मुस्लिम, ईसाई या सिख जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि ये ‘हमले के घेरे में आए अल्पसंख्यक’ हैं। जयराम रमेश ने कहा कि, भारत के संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय की बात कही गई है, जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा की।
जानें किस बात पर लिया जाआएगा प्रस्ताव पेश?
जयराम रमेश ने कहा कि, बुधवार को कांग्रेस के अधिवेशन में दो और प्रस्तावों पर चर्चा होगी, जिनमें से एक राष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ा होगा और दूसरा गुजरात के राजनीतिक हालात से जुड़ा होगा। बुधवार का प्रस्ताव इस बात पर पेश किया जाएगा कि सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय को लेकर कांग्रेस पार्टी का एजेंडा क्या है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म करके ‘जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी’ के फॉर्मूले पर प्रस्ताव पारित कर सकती है। ऐसे में कांग्रेस का फोकस दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटों पर है।
आरक्षण पर कांग्रेस मजबूत दावेदारी पेश करेगी
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के प्रस्ताव में कहा गया है कि इतिहास गवाह है कि 1951 में जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को रद्द किया था, तो जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ही संविधान में पहला संशोधन किया था और मौलिक अधिकारों के अध्याय में अनुच्छेद 15(4) जोड़ा था। इसके बाद आरक्षण आधारित सामाजिक न्याय का रास्ता हमेशा के लिए सुरक्षित हो गया था। प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने ही 1993 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया।
पढ़े ताजा अपडेट: Newswatchindia.com: Hindi News, Today Hindi News, Breaking
कांग्रेस हमेशा से ओबीसी आरक्षण की हिमायती रही है
राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग दोहराते हुए पार्टी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2006 में मौलिक अधिकारों के अध्याय में अनुच्छेद 15(5) जोड़कर और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देकर एक बार फिर इतिहास लिखा था। इस तरह कांग्रेस यह बताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस हमेशा से ओबीसी आरक्षण की हिमायती रही है और इसे न केवल कानूनी बल्कि संवैधानिक दर्जा दिलाने की कोशिश की है। इस तरह कांग्रेस का अपने ऊपर लगे आरक्षण विरोधी टैग को तोड़ने का कदम भी माना जा रहा है।
कांग्रेस का राष्ट्रीय समरसता पर जोर
सीडब्ल्यूसी की बैठक में सामाजिक समरसता को लेकर ठोस कदम उठाने की तैयारी है। धर्मनिरपेक्षता की जगह राष्ट्रीय समरसता शब्द का इस्तेमाल किया गया है। मसौदे में कहा गया है कि भारत विविधता, बहुलतावादी संस्कृति और गंगा-जमुनी तहजीब में निहित है। भारतीय संस्कृति ने न केवल सदियों से विविध दर्शन, विचार और मान्यताओं को अपनाया है, बल्कि संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अपनी आस्था और विश्वास का स्वतंत्र रूप से पालन करने का अधिकार दिया है। संविधान का मूल सिद्धांत गैर-भेदभाव है – चाहे वह धर्म, जाति, भाषा, निवास स्थान, पोशाक या भोजन का हो। यह कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का मूल है।
कांग्रेस के मसौदे में ‘राष्ट्रीय सद्भावना-सभी धर्मों के लिए समान सम्मान’ शीर्षक वाले खंड में कहा गया है कि कांग्रेस के लिए राष्ट्रवाद का विचार लोगों को एक साथ बांधता है, जबकि भाजपा/आरएसएस का ‘छद्म राष्ट्रवाद’ देश और लोगों को विभाजित करता है और इसका उद्देश्य विविधता को मिटाना है। भाजपा सरकार और संघ हिंदू बनाम मुसलमान को खड़ा करके धर्म के आधार पर विभाजन को बढ़ावा देते हैं, जबकि कांग्रेस राष्ट्रीय और सामाजिक सद्भाव के माध्यम से सभी को साथ लेकर चलना चाहती है।
Follow Us: हिंदी समाचार, Breaking Hindi News Live में सबसे पहले पढ़ें News watch indiaपर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज वॉच इंडिया न्यूज़ लाइवपर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और Latest soprt Hindi News, से जुड़ी तमाम ख़बरें हमारा App डाउनलोड करें। YOUTUBE National। WhatsApp Channels। FACEBOOK । INSTAGRAM। WhatsApp Channel। Twitter।NEWSWATCHINDIA 24×7 Live TV