New Toll Policy: पूरे हाइवे नेटवर्क पर लगेंगे कैमरे और सेंसर, रफ्तार और दूरी के आधार पर कटेगा टोल
नई टोल पॉलिसी के तहत देशभर के हाइवे पर कैमरे और सेंसर लगाए जाएंगे, जो रफ्तार और दूरी के आधार पर टोल वसूलेंगे। अब वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उतना ही टोल देना होगा। इससे टोल वसूली पारदर्शी, तेज और बिना रुकावट वाली हो जाएगी।
New Toll Policy: केंद्र सरकार ने देशभर के नेशनल हाईवे पर टोल वसूली के सिस्टम को पूरी तरह बदलने की तैयारी कर ली है। जल्द ही एक नई टोल पॉलिसी लागू होने जा रही है, जिसके तहत फास्टैग सिस्टम की जगह एक अधिक उन्नत और पारदर्शी तकनीक को अपनाया जाएगा। इस नई प्रणाली में पूरे हाइवे नेटवर्क पर अत्याधुनिक कैमरे और सेंसर लगाए जाएंगे, जो वाहनों की रफ्तार और तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूलेंगे।
क्या है नई टोल पॉलिसी का उद्देश्य?
नई टोल पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य वर्तमान टोल सिस्टम की कमियों को दूर करना और ‘पे पर यूज़’ मॉडल को लागू करना है। मौजूदा फास्टैग प्रणाली में टोल प्लाजा से गुजरते ही वाहन से तयशुदा राशि कट जाती है, भले ही वह वाहन पूरे टोल रूट पर यात्रा करे या नहीं। इससे यात्रियों को आर्थिक नुकसान होता है और ट्रैफिक जाम की भी स्थिति बनती है।
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नई नीति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उतना ही टोल अदा करेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, ट्रैफिक की रफ्तार बनी रहेगी, और लोगों को फेयर चार्जिंग का अनुभव मिलेगा।
कैसे करेगा सिस्टम काम?
इस नई तकनीक में देशभर के हाइवे पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित सेंसर लगाए जाएंगे। जब कोई वाहन हाइवे में प्रवेश करेगा, तो कैमरे उसकी नंबर प्लेट को स्कैन कर लेंगे और उसका डेटा सर्वर में सेव हो जाएगा। वाहन जैसे-जैसे दूरी तय करेगा, सेंसर उसकी लोकेशन को ट्रैक करते रहेंगे।
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हाइवे से बाहर निकलते समय अंतिम पॉइंट पर कैमरा फिर से स्कैन करेगा और सिस्टम यह तय करेगा कि वाहन ने कितनी दूरी तय की। उसी आधार पर टोल की राशि वाहन के लिंक्ड बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से काट ली जाएगी।
क्या होंगे इसके फायदे?
- बिलकुल सटीक टोल वसूली: अब वाहन चालक सिर्फ उतनी ही राशि का भुगतान करेंगे, जितनी उन्होंने हाइवे का उपयोग किया है।
- टोल प्लाजा खत्म होने की दिशा में कदम: इससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे जाम और समय की बर्बादी से छुटकारा मिलेगा।
- कम प्रदूषण और ईंधन की बचत: वाहनों को रुकना नहीं पड़ेगा, जिससे ईंधन की खपत कम होगी और पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
- डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली: हर लेन-देन रिकॉर्डेड होगा और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सीधा जुर्माना लग सकेगा।
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कब से लागू होगी यह नई व्यवस्था?
सरकारी सूत्रों के अनुसार, नई टोल पॉलिसी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले कुछ चुनिंदा हाइवे पर लागू किया जाएगा। इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में फैलाया जाएगा। नीति आयोग और सड़क परिवहन मंत्रालय इस पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं।
वर्तमान में भी कई एक्सप्रेसवे पर कैशलेस और टचलेस टोल सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे यह साबित होता है कि भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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क्या तैयारियां कर रही है सरकार?
सरकार ने इस दिशा में कई टेंडर जारी किए हैं और निजी कंपनियों को तकनीकी समाधान देने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही, मौजूदा फास्टैग सिस्टम को धीरे-धीरे नई तकनीक में रूपांतरित करने की योजना भी तैयार की जा रही है, ताकि उपयोगकर्ताओं को बदलाव में कोई परेशानी न हो।
नई टोल पॉलिसी भारत के परिवहन ढांचे में बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। यह तकनीक-आधारित समाधान न सिर्फ यात्रियों के पैसे और समय की बचत करेगा, बल्कि देश के सड़क नेटवर्क को भी अधिक स्मार्ट और भविष्य-उन्मुख बनाएगा।
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