Taj Mahal Agra: वक्फ या कोई और… किसकी ज़मीन पर बना ताजमहल? इन दस्तावेज़ों में मौजूद है जानकारी
ताजमहल की ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर सदियों से विवाद चल रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि इसे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की पत्नी मुमताज की याद में बनवाया गया था, जबकि कुछ का दावा है कि यह जयपुर के राजपूत शाही परिवार की ज़मीन थी। हालाँकि, 17वीं सदी के कुछ दस्तावेज़ों से जुड़ी जानकारी मिलती है।
Taj Mahal Agra: वक्फ बिल और फिर नए वक्फ कानून के चलते देशभर में वक्फ संपत्ति को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राजभवन भी वक्फ की जमीन पर बना है। इसी क्रम में एक और सवाल यह है कि विश्व धरोहर ताजमहल किसकी जमीन पर बना है? इस सवाल से जुड़ा एक और सवाल यह है कि ताजमहल के बंद कमरों का रहस्य क्या है?
ऐसा पहली बार नहीं है जब इस तरह के सवाल उठाए गए हों। कभी दावा किया जाता है कि ताजमहल मंदिर की जमीन पर बना है तो कभी इसे जयपुर राजघराने की संपत्ति बताया जाता है। कई संदर्भों में कहा गया है कि ताजमहल को शिव मंदिर की संरचना से छेड़छाड़ करके बनाया गया था। हालांकि, उस समय के इतिहासकारों ने इन सभी सवालों का अपने-अपने तरीके से जवाब देने की कोशिश की है।
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ताजमहल में मुमताज की कब्र होने का दावा
आधुनिक इतिहास में ताजमहल का अस्तित्व मुगल काल से बताया जाता है। कहा जाता है कि ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में करवाया था। दावा किया जाता है कि ताजमहल के अंदर मुमताज की कब्र बनी हुई है। अब सवाल यह है कि यह किसकी जमीन पर बना है और ताजमहल के निर्माण से पहले इस जगह पर क्या था। शाहजहां के दरबारी अब्दुल हमीद लाहौरी द्वारा लिखी गई किताब बादशाहनामा में ताजमहल का जिक्र है।
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17वीं सदी के दस्तावेजों में वर्णन
कहा जाता है कि ताजमहल की जमीन जयपुर के राजपूत राजघराने की थी। शाहजहां को इस जमीन का स्थान पसंद आया, इसलिए उन्होंने राजपूत राजा जय सिंह से यह जमीन ले ली और बदले में उन्हें आगरा में चार हवेलियां दीं। समकालीन यानी 17वीं सदी के दूसरे ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी इस वर्णन की पुष्टि होती है। इसी तरह का दावा आधुनिक इतिहासकार एब्बा कोच और जाइल्स टिलोट्सन ने भी किया था।
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मंदिर या खाली जमीन, यहां ताजमहल बनाने के लिए क्या था?
ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ। कुछ इतिहासकारों का दावा है कि इस जगह पर पहले एक शिव मंदिर था, जबकि कुछ लोगों का दावा है कि यहाँ खाली जमीन जैसी कोई बाग जैसी संरचना थी। हालाँकि, इन सभी दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है। चूँकि यह ज़मीन यमुना के किनारे थी, इसलिए इसका बहुत सामरिक महत्व था। कहा जाता है कि शाहजहाँ मुमताज की कब्र के लिए ऐसी ही ज़मीन की तलाश में थे। इसलिए, उन्होंने राजा जय सिंह से बात की और उनसे यह ज़मीन ले ली।
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